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संस्कृति-समाज

हिंदी में साहित्यिक पत्रिकाएं

हिंदी में सैकड़ों की संख्‍या में साहित्यिक पत्रिकाएं निकलती हैं। संभव है हजार से भी ऊपर हों। प्रिंट और वेब दोनों को समेट लेंगे तो [more…]

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संस्कृति-समाज

रेणु का कथा साहित्य : कस्बाई एवं ग्राम्य जीवन के संघर्षों का सांस्कृतिक महा-आख्यान

स्वातंत्र्योत्तर भारत के निर्विवाद आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु का साहित्य आज़ादी के बाद दम तोड़ते निम्न मध्यवर्गीय कस्बाई जीवन का साहित्य है| रेणु की [more…]

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लेखक

पुण्यतिथिः नामवर सिंह को बाबा नागार्जुन मानते थे चलता-फिरता विद्यापीठ

हिंदी साहित्य के आकाश में नामवर सिंह उन नक्षत्रों में से एक हैं, जो अपनी चमक हमेशा बिखेरते रहेंगे। उनकी चमक कभी खत्म नहीं होगी। [more…]

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पुण्यतिथिः कथ्य और संवेदना के स्तर पर मंटो के करीब है शानी का लेखन

शानी के मानी यूं तो दुश्मन होता है और गोयाकि ये तखल्लुस का रिवाज ज्यादातर शायरों में होता है, लेकिन शानी न तो किसी के [more…]

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जयंतीः राजेंद्र यादव ने साहित्य में दी अस्मिताओं के वजूद को नई पहचान

हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर [more…]

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संस्कृति-समाज

पेरियार पर आईं पुस्तकें बदलेंगी हिंदी पट्टी का दलित चिंतन

साहित्य के शोधकर्ताओं के लिए यह एक शोध का विषय है कि ईवी रामासामी पेरियार (17 सितंबर, 1879-24 दिसंबर, 1973) के मूल लेखन का कोई [more…]

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संस्मरणः तीन आदमियों से बना एक आदमी

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पंकज बिष्ट पर संस्मरण लिखते हुए डरता हूं क्योंकि वह केवल एक आदमी पर नहीं होगा। पंकज बिष्ट कई आदमियों को मिलाकर बनाए गए हैं। [more…]