Tuesday, May 30, 2023

identity

प्रकट-प्रछन्न जंज़ीरों से दबी कुचली इंसानियत की मुक्ति का गान हैं मोहन की कविताएं 

दलित साहित्यकारों और एक्टिविस्टों ने आधुनिकता के मुहावरे और ढांचे में अपने संघर्ष को स्थापित किया है। मूल्यों के असमान हिंदू सिस्टम के खिलाफ उन्होंने तार्किकता और सार्वभौमिकता के विचार निबद्ध किए हैं। वे दलित चेतना में बाहरी घुसपैठ...

सभी को आत्मबोध का समान अधिकार

जज मत करिए उन्हें समझिए “जेंडर ट्रबलः फेमेनिज्म एंड द सबवर्जन ऑफ आईडेंटिटी” (1990) जैसी मशहूर किताब की रचयिता और अमेरिकी अकादमिक और जेंडर मामलों की जानकार दार्शनिक जूडिथ पामेला बटलर का मानना है कि जेंडर का गठन, एक्शन और...

मरघट पर पहुंचा भारतीय लोकतंत्र

आजादी मिलने के बाद से हम लोकतंत्र और संसदीय राजनीति के जरिये जिस मुकाम पर आज पहुंचे हैं, उसमें 140 करोड़ भारतीयों की पहचान आज एक भारतीय नागरिक की करीब-करीब खत्म हो चुकी है। असल में जो खुद को आज...

Latest News

घर में नहीं हैं दाने, मामा चले हवाई तीर्थ कराके वोट भुनाने

बहुत ही घबराए और बिल्लियाये हुए हैं शिवराज सिंह चौहान और उतनी ही सिड़बिल्याई हुयी है भाजपा और जनादेश...