भारतीय पुरातत्वः जुस्तजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने
शहरयार की लिखी गजल इस तरह है- ‘जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने / इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने’। पुरातत्व [more…]
शहरयार की लिखी गजल इस तरह है- ‘जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने / इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने’। पुरातत्व [more…]