Estimated read time 1 min read
संस्कृति-समाज

जोश व फ़िराक़ की चंद यादें: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जोश साहब से पहली मुलाकात साल 1936 में हुई, जब तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन की पहली कॉन्फ्रेंस के दौरान उस अंजुमन की दाग़बेल डाली जा रही थी। [more…]

Estimated read time 1 min read
संस्कृति-समाज

फिराक की पुण्यतिथिः हिंदुस्तान के माथे का टीका और उर्दू ज़बान की आबरू

‘‘एक उम्दा मोती, खु़श लहजे के आसमान के चौहदवीं के चांद और इल्म की महफ़िल के सद्र। ज़हानत के क़ाफ़िले के सरदार। दुनिया के ताजदार। [more…]

Estimated read time 2 min read
संस्कृति-समाज

जयंतीः जोश मलीहाबादी की रगों में दौड़ता था इंकलाब!

उर्दू अदब में जोश मलीहाबादी वह आला नाम है, जो अपने इंकलाबी कलाम से शायर-ए-इंकलाब कहलाए। जोश का सिर्फ यह एक अकेला शेर, काम है [more…]