`उन्होंने झटपट कहा हम अपनी ग़लती मानते हैं
ग़लती मनवाने वाले ख़ुश हुए
कि आख़िर उन्होंने ग़लती मनवाकर ही छोड़ी
उधर ग़लती ने राहत की साँस ली
कि अभी उसे पहचाना नहीं गया`
(वरिष्ठ कवि मनमोहन के संग्रह `ज़िल्लत की रोटी` से)
फेसबुक पर बहुत...
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