बस्तर। भारत में मात्र कुछ ही दूरी पर पानी और बानी बदल जाती है। जिसके साथ ही रीति-रिवाज, त्योहार और खान-पान भी बदल जाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग सांस्कृतिक परंपरा के त्योहार मनाए जाते हैं। ऐसा...
लेख- अविजित पाठक
तुम्हारे बच्चे तुम्हारे बच्चे नहीं हैं। वे जीवन की स्वयं के प्रति लालसा की संतानें हैं। - खलील जिब्रान
पाशविक शक्ति, उत्तेजक राष्ट्रवाद और बाजार-चालित यांत्रिक विवेक से ग्रसित समाज के लिए क्या शिक्षण-कार्य, इसकी गहरी दृष्टि और...
इन दिनों वैसे तो अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से आ रही लगभग सभी खबरें निराश करने वाली हैं, लेकिन सबसे बुरी खबर यह है कि आम आदमी को महंगाई से राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं। अनाज, दाल-दलहन, चीनी,...