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ग्रांउड रिपोर्ट: आदिवासियों के पर्व गोंचा में बांस से बनी तुपकी से दी जाती है सलामी, खतरे में है 600 वर्ष पुरानी यह संस्कृति
बस्तर। भारत में मात्र कुछ ही दूरी पर पानी और बानी बदल जाती है। जिसके साथ ही रीति-रिवाज, त्योहार और खान-पान भी बदल जाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग सांस्कृतिक परंपरा के त्योहार मनाए जाते हैं। ऐसा...
बीच बहस
शिक्षक दिवस पर विशेष: हमें चाहिए ऐसे शिक्षक
Janchowk -
लेख- अविजित पाठक
तुम्हारे बच्चे तुम्हारे बच्चे नहीं हैं। वे जीवन की स्वयं के प्रति लालसा की संतानें हैं। - खलील जिब्रान
पाशविक शक्ति, उत्तेजक राष्ट्रवाद और बाजार-चालित यांत्रिक विवेक से ग्रसित समाज के लिए क्या शिक्षण-कार्य, इसकी गहरी दृष्टि और...
ज़रूरी ख़बर
यह नग्न बाजारवाद का बेशर्म परीक्षण है!
अनिल जैन -
इन दिनों वैसे तो अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से आ रही लगभग सभी खबरें निराश करने वाली हैं, लेकिन सबसे बुरी खबर यह है कि आम आदमी को महंगाई से राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं। अनाज, दाल-दलहन, चीनी,...
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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर
धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...
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