भारत में लगभग 80 प्रतिशत धर्मभीरु जनता इसी बात में बुरी तरह उलझी हुई है कि, 'ऊपरवाला किस्मत लिखता है, वो सब देखता है, वो हमारे पाप-पुण्य का हिसाब रखता है, जीवन-मरण भी उसी के हाथ में है, उसकी...
सत्ता पोषित पाखंड के दौर में एक नयी ज़मीन तोड़ने का वक्त... शीर्षक रचना का शेष भाग
एक सफल देव पुरुष बनने के लिए कौन सी योग्यताओं की आवश्यकता है? सबसे पहले वह लच्छेदार बातें एवं अर्थहीन भाषाएं बोलने में दक्ष...