पहले मिर्जा गालिब की लिखी यह पंक्तियां पढ़ें, तआलल्लाह बनारस चश्म ए बद'दूर बहिश्त ए खुर्रम ओ फिरदौस ए मामूर, इबादतख़ान ए नाकूसियाँ अस्त ए हमाना काबा ए हिन्दोस्तां अस्त !
अब इसका हिंदी अनुवाद, हे परमात्मा, बनारस को बुरी...
आदमी की भौतिक दरिद्रता उसकी मानसिक दरिद्रता का भी कारण बनती है। वह अपने अस्तित्व के लिये ही हर प्रकार की लूट-खसोट, कमीनेपन की मानसिकता का शिकार होता है, छोटी-छोटी चालाकियों में ही पूरा जीवन व्यतीत कर देता है...