Thursday, June 8, 2023

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पहाड़ की खुरदुरी जमीन पर मोहन मुक्त ने खड़ा किया है कविता का हिमालय

वो तुम थे एक साधारण मनुष्य को सताने वाले अपने अपराध पर हँसे ठठाकर, और अपने आसपास जमा रखा मूर्खों का झुंड  अच्छाई को बुराई से मिलाने के लिए, कि न छंट सके धुंध, बेशक हर कोई झुका तुम्हारे सामने कसीदे पढ़े तुम्हारी शराफ़त...

 ‘हिमालय दलित है’ कविता के परंपरागत प्रतिमानों को ध्वस्त करता संग्रह

‘हिमालय दलित है’ मोहन मुक्त का पहला कविता संग्रह है। संग्रह की कविताएं धधकते लावे की तरह हैं। यहां तक कि कवि की प्रेम कविताओं से भी एक आंच निकलती है। ऐसे लगता है कि कवि किसी ज्वालामुखी के...

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न्योन, स्विटज़रलैंड। स्पोर्ट एंड राइट्स एलायंस ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को तुरंत यह सुनिश्चित करना चाहिए...