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संस्कृति-समाज

किताब पर चर्चा: आज के समय में गंभीर हस्तक्षेप हैं मुकुल सरल की ग़ज़लें और नज़्में

नई दिल्ली। “इस किताब में बहुतों की आवाज़ शामिल है। इसमें मुल्क के आज के हालात को शामिल किया गया है। मुकुल सरल की ग़ज़लें [more…]

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संस्कृति-समाज

‘मेरी आवाज़ में है तू शामिल’: बेबाक ग़ज़ल, सच्ची नज़्में

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मेरे हाथ में जब ‘गुलमोहर किताब’ प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित कवि/शाइर/पत्रकार और जनवादी लेखक मुकुल सरल की ग़ज़लों और नज़्मों की किताब ‘मेरी आवाज़ में [more…]