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गोलवलकर की पतनशील विचारधारा को प्रेरक तत्व मानता है मौजूदा सत्ताधारी दल
भारत के वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी और संघात्मक संविधान के नाम पर शपथ लेते हों परन्तु सच यह है कि यह पार्टी देश को आरएसएस के एजेंडे में निर्धारित दिशा में ले जा रही है। हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी संविधान और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्रवाद के बीच जो…
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बीजेपी की सत्ता में जिंदा रहना ही विकास!
दुनिया के कई देश गृहयुद्ध की भयावहता को झेल चुके हैं और आज भी उस परिस्थिति से गुजर रहे हैं, जिसमें रवांडा, मिस्र, लीबिया, युगांडा, अफगानिस्तान, ईरान, इराक समेत और भी बहुत सारे देशों को देखा जा सकता है। किसी भी देश में गृहयुद्ध एक दिन का परिणाम नहीं होता है, समाज में वर्षों से…
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मौजूदा भारतीय संदर्भ के जटिल प्रश्न और पब्लिक इंटैलेक्चुअल की भूमिका!
पिछले दिनों अंग्रेजी में लिखने-पढ़ने और बोलने वाले बड़े लेखक का एक डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंटरव्यू सुन रहा था। उन्हें महानगरीय समाज के भद्रलोक में बड़ा लोक-बुद्धिजीवी (पब्लिक-इंटैलेक्चुअल) माना जाता है। यह इंटरव्यू कुछ महीने पहले का था और उस समय के मुद्दों की चर्चा ज्यादा थी, लेकिन इससे राजनीति, समाज और लोकतंत्र के…
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योगी की जिद पर भारी पड़ा बंद समर्थकों का हौसला! लाठीचार्ज, नजरबंदी और गिरफ्तारियों में बीता दिन
कृषि के काले कानूनों के खिलाफ आज किसान संगठनों ने ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। अन्नदाता की इस लड़ाई को कमजोर करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरा जोर लगा दिया। विपक्ष के कई नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया। बड़ी संख्या में सपा, कांग्रेस, आरएलडी और आम आदमी पार्टी…
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सत्ता ‘रंग-नुमाइश’ कराती है, ताकि रंगकर्म का विचार मर जाए!
रंगकर्म माध्यम है, यह सोचने या मानने वाले अधूरे हैं। वो रंगकर्म को किसी शोध विषय की तरह पढ़ते हैं या किसी एजेंडे की तरह इस्तेमाल करते हैं, पर वो रंगकर्म को न समझते हैं न ही रंगकर्म को जीते हैं। ख़ासकर ‘रंगकर्म मानवता का दर्शन’ जानने वाले राजनेता या मुनाफ़ाखोर पूंजीपति जो सिर्फ़ इस…
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जब निरंकुश सत्ताओं के लिए चुनौती बन गए व्यंग्यकार!
मशहूर साहित्यकार हरिशंकर परसाई व्यंग्य के विषय में कहते थे– “व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करता है, जीवन की आलोचना करता है, विसंगतियों, अत्याचारों, मिथ्याचारों और पाखंडों का पर्दाफाश करता है।” लेकिन स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के व्यंग-ट्वीट से सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक हाय-तौबा मची है। सोशल मीडिया पर सामान्य जन न सिर्फ़ उनके…
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अब हिंदुत्व के सहारे चलेगी अरविंद के सत्ता की नांव!
दिल्ली के इतिहास में पहली बार राज्य सरकार ने सरकारी तामझाम और टीवी समेत तमाम विज्ञापनों के जरिए इस साल दीपावली के अवसर पर शुभ मुहुर्त निकलवा कर दो करोड़ लोगों को सामूहिक पूजा में भाग लेने की अपील की। अक्षरधाम मंदिर पर इसका आयोजन किया गया और लाइव टीवी पर देश ने मुख्यमंत्री, उप…
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दशहरा के बाद की लड़ाई
विजयदशमी (दशहरा) को सशक्तीकरण का क्षण माना जाता है: शाब्दिक और लाक्षणिक दोनो अर्थों में। रावण को पराजित कर दिया गया है। सीता को बचा लिया गया है। और सम्पूर्ण सद्गुणों के अवतार राम के वनवास का अन्त होने को है। लेकिन हमारे तमाम महाकाव्य हमें बताते हैं कि जीत का क्षण धुंए के एक…