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संस्कृति-समाज
पुस्तक समीक्षा: दर्जाबंदी तोड़ने की निगाह
Janchowk -
सदियां गुजर गईं मगर वंचनाओं ने आज तक आधी दुनिया का पीछा नहीं छोड़ा। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, कोई ऐसी जगह नहीं जहां महिलाएं किसी न किसी रूप में वंचनाओं की शिकार न हों। यह भी एक हद तक...
संस्कृति-समाज
शीला संधु को लेकर पंकज बिष्ट का संस्मरण: उन्होंने चुनौती स्वीकारी
अगर उनके निजी जीवन को देखें तो कहना गलत नहीं होगा कि शीला संधु सही अर्थों में चुनौती का दूसरा नाम थीं। हिंदी प्रकाशन व्यवसाय को राजकमल प्रकाशन के माध्यम से चरम पर पहुंचानेवाली शीला संधु (24 मई 1924...
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भारी संख्या में मतदान बहिष्कार ने खोल दी विकास के दावों की पोल
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव अभियान राजनीतिक दलों और मतदाताओं की खामोशी के चलते अभूतपूर्व ढंग...
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