जाति-वर्ग का द्वैध यथार्थ: भारतीय समाज की क्रांतिकारी गुत्थी

जब कोई सामाजिक व्यवस्था केवल संसाधनों पर नहीं, बल्कि श्रम, शरीर, सोच और आत्म-संवेदना पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती…