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संस्कृति-समाज

साहिर की स्मृति दिवस पर विशेष: ‘आओ कि कोई ख़्वाब बुनें, कल के वास्ते’

साहिर लुधियानवी का शुरुआती दौर, देश की आज़ादी के संघर्षों का दौर था। लेखक, कलाकार और संस्कृतिकर्मी अपनी रचनाओं एवं कला के ज़रिए आज़ादी की [more…]

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बीच बहस

जन्मशती पर विशेष: साहिर न होते तो फ़ासिज़्म और क़रीब होता

(साहिर, 8 मार्च 1921- 28 अक्तूबर 1980; जन्म-शती साल)    साहिर लुधियानवी की बेशुमार लोकप्रियता से रश्क और रंजिश रखने वाली अदीबों की दुनिया में [more…]