स्मृति दिवस विशेष: असद की यादों में सज्जाद ज़हीर
बन्ने भाई उन लोगों में से हैं, जिनका आदमी एहतिराम ही एहतिराम कर सकता है। एक मक़सद के लिए ज़िंदगी सुपुर्द कर देना हर शख़्स [more…]
बन्ने भाई उन लोगों में से हैं, जिनका आदमी एहतिराम ही एहतिराम कर सकता है। एक मक़सद के लिए ज़िंदगी सुपुर्द कर देना हर शख़्स [more…]
9 अप्रैल, प्रगतिशील लेखक संघ का स्थापना दिवस है। साल 1936 में इसी तारीख को लखनऊ के मशहूर ‘रिफ़ाह-ए-आम’ क्लब में प्रगतिशील लेखक संघ का [more…]
जनवरी, 1946 में साहिर लुधियानवी और मैं बंबई पहुंचे, तो हमारी उम्र बिल तर्तीब पच्चीस और बाईस साल थी। ये बर्र-ए-सग़ीर (हिंद उपमहाद्वीप) की जद्दोजहद, [more…]
‘‘एक उम्दा मोती, खु़श लहजे के आसमान के चौहदवीं के चांद और इल्म की महफ़िल के सद्र। ज़हानत के क़ाफ़िले के सरदार। दुनिया के ताजदार। [more…]
मुल्क में तरक्की पसंद तहरीक जब परवान चढ़ी, तो उससे कई तख्लीककार जुड़े और देखते-देखते एक कारवां बन गया, लेकिन इस तहरीक में उन तख्लीककारों [more…]
‘‘इंसानी ज़िंदगी का दायरा सिर्फ इश्क और मुहब्बत तक महदूद नहीं। क्या इसके अलावा और बहुत से मसाइल और बहुत सी दिलचस्प और गैर दिलचस्प [more…]