सीता के मिथक का विकास: मिथक और साहित्य में महिलाएं
{साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं होता, बल्कि प्रेमचंद के शब्दों में यह समाज को राह दिखाने वाली मशाल भी होता है। लेकिन यह बात [more…]
{साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं होता, बल्कि प्रेमचंद के शब्दों में यह समाज को राह दिखाने वाली मशाल भी होता है। लेकिन यह बात [more…]
विजयदशमी (दशहरा) को सशक्तीकरण का क्षण माना जाता है: शाब्दिक और लाक्षणिक दोनो अर्थों में। रावण को पराजित कर दिया गया है। सीता को बचा [more…]
संघ संप्रदाय अपनी यह घोषणा दोहराता रहता है कि अयोध्या में जल्दी ही श्रीराम का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। बीच-बीच में यह खबर भी आती [more…]
भारत में बहुजन-श्रमण परंपरा के पास आधुनिक भारत के निर्माण के लिए आवश्यक दर्शन, विचारधारा, ग्रंथ और नायक-नायिकाएं हैं। यह बात स्त्री-पुरूष संबंधों के बारे [more…]