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‘तुम्हारी औकात नहीं है जो राजधानी में सफर करो’ कहते हुए दो मजदूरों को राजधानी से उतारा

कृषि और रेलवे के कारपोरेटीकरण का जमीनी असर दिखने लगा है, कहीं किसान को लूटकर व्यापारी बिना भुगतान के भाग जा रहे हैं तो रेलवे [more…]