बौद्ध श्रमण चिन्तन परम्परा के चिन्तक प्रो. तुलसीराम
बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति’ में लिखा है कि भारतीय इतिहास दो संस्कृतियों के बीच संघर्ष का इतिहास है। ये [more…]
बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति’ में लिखा है कि भारतीय इतिहास दो संस्कृतियों के बीच संघर्ष का इतिहास है। ये [more…]
आज प्रो. तुलसी राम के व्यक्तित्व व वैचारिकी के ढेर सारे प्रशंसक मौजूद हैं, मैं भी उन्हीं में से एक हूँ। प्रो. तुलसी राम से [more…]
भारतीय साहित्य में अपनी पहली ही कृति आत्मकथा ‘मुर्दहिया’ से तुलसीराम हिन्दी साहित्य और दलित साहित्य में कालजयी लेखकों की प्रथम पंक्ति में शामिल हो [more…]