Friday, April 19, 2024

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शंभु मित्र के जन्मदिन पर विशेष: जिन्होंने टैगोर के नाटकों का मंचन करके बतलाया

आधुनिक बांग्ला नाट्य मंच में शंभु मित्र की पहचान शीर्षस्थ नाटककार, अभिनेता और निर्देशक के रूप में है। उनकी पूरी जिंदगी नाटक के लिए समर्पित रही। उन्होंने न सिर्फ़ नाटकों में अभिनय-निर्देशन किया, बल्कि फ़िल्मों में भी अपने आप...

हिंदुत्ववादी और वैज्ञानिक विश्व दृष्टिकोण का संघर्ष: रामदेव का धंधा बनाम वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति

यह देखना, इस दौर में, आशाजनक और आश्वस्तकर है कि अंतत: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (भारतीय चिकित्सा संगठन) ने आधुनिक चिकित्साशास्त्र बल्कि कहना चाहिए तार्किकता और वैज्ञानिक चेतना एवं स्वयं विज्ञान के खिलाफ विगत सात वर्षों से चल रहे दुष्प्रचार...

अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार के पास न दिशा है और न ही दृष्टि!

हाल ही में जारी, विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स के आंकड़ों में हमारी रैंकिंग 94 पर है। अन्नम ब्रह्म और अतिथि को कभी भी बिना भोजन कराए न जाने देने की परंपरा वाले महान देश की स्थिति...

नेहरू: चट्टानी राजनीति की छाती पर अपना अस्तित्व जमाने वाला गुलाब का पौधा

बीसवीं सदी के भारत पर सबसे ज़्यादा असर नेहरू का रहा है। गांधी के प्रभाव की नस्ल जुदा है। रवीन्द्रनाथ टैगोर के शब्दों में जवाहरलाल ‘भारतीय जीवन के ऋतुराज‘ थे। विनोबा ने ‘उन्हें ‘स्थितप्रज्ञ‘ कहा। एक प्रख्यात विदेशी पत्रकार ने उनकी तुलना शेक्सपियर...

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‘ये बाबू संविधान बचाईं कि चिराग बाबू के जिताईं समझ में नाही आवत बा’

यह बात बिहार की करीब 60-65 वर्ष की पासी समाज की एक महिला ने कही। जब हम लोग संविधान...