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बीच बहस
लद्दाख में मोदीः खोल से बाहर नहीं निकलने की जिद
लोगोें का यह पूछना लाजिमी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी लद्दाख यात्रा से क्या संदेश दिया है? वह ऐेसे समय में लद्दाख गए हैं जब चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव को खत्म करने के लिए...
बीच बहस
चीनी घुसपैठ क्या हमारी खुफिया एजेंसियों की नाकामी नहीं है ?
लद्दाख की पैंगांग झील और गलवान घाटी में घुसपैठ मई महीने के अंत तक होने लगी थी और जून के पहले सप्ताह तक सीमा पर अंदर तक चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए की गतिविधियां बढ़ने लगी थीं। जब...
ज़रूरी ख़बर
उपन्यास ‘एक गधा नेफा में’: सरहदें खींचना आसान, सरहदें मिटाना-मिलाना सबसे मुश्किल
कृश्न चंदर एक बेहतरीन अफसानानिगार के अलावा एक बेदार दानिश्वर भी थे। मुल्क के हालात-ए-हाजरा पर हमेशा उनकी गहरी नज़र रहती थी। यही वजह है कि उनके अदब में मुल्क के अहम वाकये और घटनाक्रम भी जाने-अनजाने आ जाते...
ज़रूरी ख़बर
भाजपा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में संबंध: कहां मयखाने का दरवाजा और कहां वाइज ग़ालिब !
भारत-चीन के बीच तनाव का दौर जारी है। दोनों देशों के बीच 1962 में एक बार जंग हो चुकी है। वहीं 1965 और 1975 में भी दोनों देशों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं। इन तारीख़ों के बाद ये...
ज़रूरी ख़बर
चीन पर नेहरू को कटघरे में खड़ा करने वाले क्या पंडित दीनदयाल भी थे ‘राष्ट्र विरोधी’?
यदि गलवान घाटी में हुए खूनी झड़प के बारे में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से सवाल कर विपक्ष ने “गैर-ज़िम्मेदारी” का सबूत दिया है और उसके प्रश्न “देशघाती” हैं और सैनिकों के मनोबल गिराने वाले हैं, तो सवाल...
पहला पन्ना
संकट काल में ही होती है नेतृत्व की पहचान
अब आज की ताज़ी खबर यह है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद पर चर्चा करने के लिए एक बार फिर कोर कमांडर स्तरीय बैठक चुशुल-मोल्डो बॉर्डर प्वाइंट पर हो रही है। इससे पहले...
संस्कृति-समाज
पुण्यतिथि पर विशेष: सियासतदानों के भी चहेते थे शो मैन
अमरीक -
राज कपूर की फिल्म 'आवारा' 1951 में प्रदर्शित हुई थी। देश में नेहरूवादी युग की बयार थी और दुनिया के नक्शे पर मार्क्सवाद का अलग ही दबदबा। यह फिल्म निहायत अलग किस्म के सौंदर्य शास्त्र में रची-बसी थी। कहीं...
बीच बहस
अमेरिका और चीन के बीच में भारत
लद्दाख में चीनी सैनिकों की दादागीरी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अपुष्ट दावा कि उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात हुई और वे इससे बहुत प्रसन्न नहीं हैं, एक ऐसी स्थिति को प्रदर्शित करता है जहां...
बीच बहस
जीवन का अंत हो चुका होगा, तब शुरू होगा बचे रहने का युद्ध!
आज के समय में इससे जरूरी शायद दूसरा दस्तावेज नहीं हो सकता। इसे अपनी डायरियों में उतार लें, पोस्टर बना कर अपने आसपास की दीवारों को पाट दें, संभव हो तो इसे अपने खून या सोने की स्याही से...
संस्कृति-समाज
जयंती पर विशेष: टैगोर की दृष्टि में, देशभक्ति और राष्ट्रवाद
गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर का व्यक्तित्व अंतरराष्ट्रीय था। बंगाल के कुछ बेहद सम्पन्न लोगों में उनका परिवार आता था। उनके बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर, देश के प्रथम हिंदुस्तानी आईसीएस थे। वे 1864 बैच के आईसीएस थे। अपने माता-पिता...
Latest News
ग्राउंड रिपोर्ट: तपती गर्मी में खारे पानी की सज़ा
बीकानेर, राजस्थान। "जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है गांव में पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। जो...
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