छेड़छाड़ के आरोप में राष्ट्रीय कत्थक केंद्र का शिक्षक निलंबित

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23 वर्षीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कत्थक की एक छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप में आरोपित रविशंकर उपाध्याय को जांच होने तक संस्थान से निलंबित कर दिया गया है। केंद्र के निदेशक सुमन कुमार ने बताया कि जैसा कि नियम है सरकारी कर्मचारी को 48 घंटे तक जेल में रहने की स्थिति में जांच होने तक के लिए आरोपित को निलंबित कर दिया जाता है, मैंने गिरफ्तारी के बाद 48 घंटे बीतते ही आरोपित को निलंबित कर दिया है।

बता दें कि छात्रा डिप्लोमा कोर्स के अलावा आरोपित रविशंकर उपाध्याय से पखावज बजाना सीख रही थी। छात्रा ने आरोप में बताया है कि उस दिन दो छात्राएं और थीं, रविशंकर उपाध्याय ने उनको वापस भेज दिया और मौका पाकर पीड़ित छात्रा की फोटो खींची और उसे पकड़कर अश्लील हरकतें करने लगे। घटना 14 दिसंबर की है। पीड़िता ने चाणक्यपुरी थाने में और संस्थान के निदेशक सुमन कुमार को आरोपित के खिलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई थी।

आरोपी के खिलाफ़ छेड़छाड़ की धारा 354 के तहत केस दर्ज़ करवाया गया है। 16 दिसंबर बुधवार को कोर्ट में पेश होने के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। घटना 14 दिसंबर की है।

नेशनल इंस्टीट्यूट कत्थक केंद्र के निदेशक सुमन कुमार बताते हैं कि 14 दिसंबर को उनके मोबाइल नंबर पर पीड़ित लड़की ने फोन करके कहा कि – “मुझे आपसे बात करना है, सर कुछ बताना है”, लेकिन वो कह नहीं पा रही थी।

सुमन कुमार आगे बताते हैं कि उस वक़्त वो बाहर थे। लेकिन फोन पर लड़की की आवाज़ से उन्हें लगा कि मामला कुछ गंभीर है। जो वो लड़की उन्हें बताना चाहती है लेकिन बता नहीं पा रही है। सुमन कुमार बताते हैं कि उन्होंने लड़की को मनोवैज्ञानिक बल देते हुए कहा कि कल एक मीटिंग करते हैं। आमने सामने बैठ करके तुम जो बताना चाहती हो वो अगर लिखित में दे दोगी तो और अच्छा रहेगा। हम इसके खिलाफ़ कार्रवाई करेंगे।” फोन पर इतनी बात करके लड़की ने फोन कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।

फिर उसी दिन यानि 14 दिसंबर की रात को लड़की ने एक ईमेल में सारी बातें लिखकर भेजी। अगले दिन दोपहर 12 बजे वो ईमेल निकालकर स्टाफ द्वारा केंद्र निदेशक के पास लाया गया। सुमन कुमार बताते हैं कि अमूमन मैं हर ईमेल पढ़ता हूँ। उस वक़्त मैं ऑफिस आकर बाहर गया था। मुझे रास्ते में पता लगा कि दो-तीन पुलिसकर्मी आये और एक स्टाफ मेंबर को केंद्र से उठाकर ले गये।    

केंद्र में इस तरह की चीजों के घटित होने की जानकारी पाकर बुरा लगा। मुझे घटना की जानकारी चाहिए थी तो मैंने फोन लगाया उस स्टाफ मेंबर रविशंकर उपाध्याय को फोन लगाया पर उसका नंबर नहीं लगा। फिर हमें लगा कि थाने संपर्क करना चाहिए।

फिर लड़की का ईमेल देखने के बाद हमने लड़की के मेल का रिप्लाई किया कि जिसके बारे में आपने कंप्लेन भेजा है उसे पुलिस पकड़कर ले गई। तब से उनका पता नहीं चल रहा है। फिर लड़की ने रिवर्ट मेल किया कि “मैंने पुलिस शिकायत की थी और आरोपी पुलिस कस्टडी में है”।

दरअसल छात्रा की शिकायत के आधार पर चाणक्यपुरी थाने की पुलिस उन्हें केंद्र से उठाकर ले गई थी। उसी शाम को आरोपी के घर वालों को फोन आया कि उन्हें तिहाड़ जेल ले जाया गया है।

इसके बाद अगले दिन यानि 16 दिसंबर को छात्रा अपनी मां के साथ केंद्र आई। उससे पहले वाले दिन यानि 15 दिसंबर को वो सारा दिन थाने में ही बैठी थीं।

सुमन कुमार बताते हैं कि जैसा कि नियम है गिरफ्तारी के 48 घंटे पूरे होने के बाद आरोपित स्टाफ को सस्पेंसन में डाल दिया जाता है ताकि जांच सही से पूरा हो। मैंने उनको सस्पेंड कर दिया। साथ ही संस्थान के कमरे का जहां उस दिन घटना घटित हुई थी वहां के सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंप दिया गया है।

घटना के बाबत बोलते हुए केंद्र निदेशक सुमन कुमार कहते हैं सच क्या है ये तो पुलिस जांच से पता चल पायेगा। लेकिन कला संस्थानों में इस तरह की घटना का होना ही दुखद है। लेकिन अच्छी बात ये है कि चीजें अब पहले से बेहतर हो रही हैं। हर जगह सीसीटीवी लगे हैं। जांच के तरीके और संसाधन पहले से बेहतर हुए हैं। इससे माहौल बेहतर हुआ है। अब लोग गलत करके बच नहीं सकते। किसी छात्रा के सम्मान से खिलवाड़ करके कोई नहीं बच सकता।

(अवधू आज़ाद की रिपोर्ट। आजाद पेशे से नाट्यकर्मी और निर्देशक हैं।)

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