विकसित भारत को स्कूलों के आंतरिक मूल्यांकन का हिस्सा बनाए जाने पर अध्यापकों और अभिभावकों ने जताई चिंता

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नई दिल्ली। एनसीईआरटी ने केंद्र सरकार के विकसित भारत प्रोग्राम के तहत आने वाले प्रोजेक्टों को लेकर एक प्रश्न बैंक और स्टडी सामग्री तैयार करवाया है और वह चाहती है कि स्कूल उसे अपने आंतरिक मूल्यांकन का हिस्सा बनाएं। लेकिन इसको लेकर निचले स्तर पर विरोध हो रहा है। न ही अध्यापक और न ही अभिभावक इसको अच्छा मान रहे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसा करने से पहले एनसीईआरटी ने इसके किसी स्टेकहोल्डर मसलन स्कूल बोर्ड, छात्र और अभिभावक से राय नहीं ली। बोर्ड की परीक्षा में 20 फीसदी मार्क्स स्कूल के आंतरिक मूल्यांकन का होता है।

एक अध्यापक ने द टेलीग्राफ से बात करते हुए अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि आंतरिक मूल्यांकन में स्कूल प्रोजेक्ट, यूनिट टेस्ट, होम वर्क और क्विज जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए नंबर दिया जाता है। यह सभी गतिविधियां उस पाठ्यक्रम का हिस्सा होती हैं जिन्हें विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।

एक स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि आंतरिक मूल्यांकन आम तौर पर स्कूलों पर छोड़ दिया जाता है। सीबीएसई पहले ही आंतरिक मूल्यांकन पर गाइडलाइन जारी कर चुकी है। एनसीईआरटी का प्रश्न बैंक अभी तक स्कूल में नहीं आया है।

प्रधानाचार्य ने कहा कि आंतरिक मूल्यांकन में विकसित भारत पर एनसीईआरटी का प्रश्न बैंक स्कूलों में एक एडवाजरी के रूप में आ सकता है।

उन्होंने बताया कि प्रश्न बैंक के मामले में एनसीईआरटी ने अभी तक न तो स्कूलों से और न ही अभिभावकों से कोई फीडबैक मांगा है।

एक अभिभावक ने कहा कि सरकार अपने एजेंडे को बच्चों के बीच फैलाना चाहती है।

उन्होंने बताया कि स्कूल सरकारी नीतियों पर लगातार बच्चों को प्रोजेक्ट दे रहे हैं। उनमें कुछ प्रासंगिक हैं और बहुत सारा प्रचार है। प्रोजेक्ट और दूसरी गतिविधियों पर स्कूलों को फैसला लेने की छूट होनी चाहिए।

एनसीईआरटी ने विकसित भारत पर पांच माड्यूल तैयार किए हैं। जिससे छात्रों को पढ़ने के लिए अतिरिक्त सामग्री मिल जाए। हिंदी में इन माड्यूल को स्वच्छता, घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास के लिए शारीरिक तौर पर कम सक्षम लोगों का योगदान, अमृतकाल में ग्रोथ इंजन के तौर पर स्टार्टअप और सरकार की नीतियां जैसी थीम पर तैयार किया गया है।

पिछले साल शिक्षा मंत्रालय ने एनसीईआरटी से इस थीम पर माड्यूल तैयार करने के लिए कहा था। एनसीईआरटी ने सबसे पहले चंद्रयान की सफलता पर एक माड्यूल तैयार किया और उसके बाद उसकी तथ्यात्मक कमियों को दूर कर फिर से उसे तैयार किया।

टेलीग्राफ ने इस सिलसिले में एनसीईआरटी के निदेशक डीपी सकलानी को एक मेल भेजा था लेकिन उसका अभी तक उसे कोई जवाब नहीं आया।

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