8वीं बैठक भी बेनतीजा, कृषि मंत्री फिर गिनाए कानून के फायदे

किसान नेताओं के साथ सरकार की आज की बैठक बेनतीजा खत्म हो गई। चार घंटे तक चली बैठक में तीन कृषि क़ानूनों पर चर्चा हुई। आज एमएसपी पर बात नहीं हो सकी। बैठक में किसान यूनियनों ने कृषि क़ानून वापस लेने की मांग दोहराई, वहीं सरकार ने उसके फायदे गिनाए। अगली बैठक 8 जनवरी को दोपहर दो बजे होगी।

बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार ने प्वाइंट वाइज बात करने को कहा। हमने कहा नहीं चाहिए हमें क़ानून फिर क्या बात करें प्वाइंट वाइज। जब हम क़ानून मानते ही नहीं तो उस पर प्वाइंट वाइज क्या बात करें। इसी पर गतिरोध बना रहा।” टिकैत ने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

डॉ. दर्शन पाल ने बताया, “एमएसपी पर क़ानून को लेकर गतिरोध रहा। हमने क़ानून रिपील करने की बात की वो संशोधन पर बात करते रहे। फिर सरकार ने कहा कि पहले एमएसपी पर बात कर लें। हमने कहा, तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया पर पहले बात कीजिए। इस के बाद सरकार ने कहा, अब 8 जनवरी को बात करेंगे।”

किसान नेताओं ने मीडिया से कहा, “सरकार घबबाई हुई है, लेकिन वो संशोधन से आगे नहीं बढ़ रही है। सरकार जब तक क़ानून वापस नहीं लेती, और एमएसपी पर खरीद की गारंटी का क़ानून बनाने की गारंटी नहीं देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए बताया, “सरकार प्वाइंट टू प्वाइंट बात करना चाहती थी, ताकि रास्ता निकल सके। एमएसपी पर थोड़ी बात हुई। माहौल अच्छा था, लेकिन किसान नेताओं के कृषि कानूनों को रिपील करने के मुद्दे पर अड़े रहने के चलते नतीजा नहीं निकल सका। अगली बैठक में उम्मीद करते हैं कि कोई नतीजा निकले। सरकार और किसानों के बीच रजामंदी के चलते ही 8 जनवरी की बैठक तय हुई है। इससे जाहिर है कि किसान यूनियनों को सरकार पर भरोसा है।

जब किसान कृषि क़ानूनों को रिपील करवाने के मुद्दे पर अडिग हैं तो सरकार उस दिशा में क्या नहीं आगे बढ़ती? आखिर बातचीत के नाम पर किसानों को तारीख पर तारीख क्यों मिल रही है? एक पत्रकार के इस सवाल के जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, “देश में करोड़ों किसान हैं। सरकार देश भर के किसानों का हित ध्यान में रखकर सोचती है। सरकार ने क़ानून बनाया है तो किसान हित को ध्यान में रखकर ही बनाया है। सरकार को बहुत कुछ देखना पड़ता है। किसी भी नतीजे तक पहुंचने के लिए तालियां दोनों हाथ से बजती हैं।”

आज की बैठक के दौरान लंच टाइम में किसानों ने लंगर से खाना मंगवाया। चार घंटे की बैठक में एक घंटे से ज़्यादा समय का लंच ब्रेक हुआ।

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