अमेजन चीफ बेजोस के प्रति मोदी सत्ता की टेढ़ी नजर की प्रमुख वजह थी उनका “दि वाशिंटगन पोस्ट” का मालिक होना

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नई दिल्ली। ऑन लाइन बाजार की प्रमुख कंपनी एमेजॉन के मालिक जेफ बेजोस की भारत यात्रा बेहद विवादित रही। और उनकी इस यात्रा के प्रति भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान का रवैया न केवल उदासी भरा रहा बल्कि रुखेपन की हद तक शत्रुतापूर्ण था। बेजोस ने जब विदेशी निवेश के लिए तरस रहे भारत में एक बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की तो उसका स्वागत करने की जगह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसा करके बेजोस कोई एहसान नहीं कर रहे हैं। बल्कि इससे खुद उनको भी बड़ा लाभ होने वाला है।

बेजोस को किसी एक जगह नहीं बल्कि कई स्थानों पर इन्हीं परिस्थितियों से दो चार होना पड़ा। बताया जाता है कि पीएम मोदी ने दुनिया की इस आनलाइन मार्केटिंग कंपनी के चीफ को मुलाकात का भी समय नहीं दिया। और बीजेपी के विदेश सेल के अध्यक्ष इस दौरान लगातार बजोस पर हमला बोलते रहे।

लेकिन इसके पीछे की वजहों का अब खुलासा हो रहा है। दरअसल बेजोस अमेरिका में प्रकाशित होने वाले अखबार दि वाशिंगटन पोस्ट के मालिक हैं। और पेपर इन दिनों भारत सरकार की विभिन्न नीतियों को लेकर मोदी के प्रति बहुत ही ज्यादा आलोचनात्मक है। जिसको मोदी सरकार किसी भी रूप में बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। लिहाजा सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े तमाम लोग इस दौरान बेजोस को उसी तरफ इशारा करते देखे गए। उसकी कुछ बानगी इस दौरान दोनों पक्षों के बीच हुए ट्वीट वार में भी देखी जा सकती है।

अपनी यात्रा के दौरान बेजोस ने जब बुधवार को अपने एक ट्वीट में कहा कि “गतिशीलता, ऊर्जा और लोकतंत्र। #इंडियनसेंचुरी”। तो उसका जवाब देते हुए बीजेपी के विदेश विभाग के इंचार्ज डॉ. विजय चौथाईवाले ने अपने ट्विटर के जरिये कहा कि “श्रीमान जेफ बेजोस, कृपया इसे वाशिंगटन डीसी में अपने कर्मचारियों को बताइये। आपका इस तरह से खुश होना समय और पैसे दोनों की बर्बादी साबित होगा।”

उसके बाद भारतीय पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने ट्वीट किया कि क्या बीजेपी की विदेश इकाई सेल के मुखिया के बेजोस से अपने कर्मचारियों से बात करने का मतलब वाशिंगटन पोस्ट के कर्मचारियों से है जो लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं?

चौथाईवाले के इस ट्वीट पर वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार तवलीन सिंह भी चुप नहीं रहीं। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि “यह शर्म से भी ज्यादा शर्मनाक है। एक बीजेपी पदाधिकारी एक मुख्य अमेरिकी अखबार से सेंसरशिप की मांग कर रहा है”।

लेकिन इस पर चौथाईवाले भी चुप नहीं रहे। उन्होंने कहा कि यह “स्वाभाविक है कि कोई ऐसा शख्स ही जो अपने पुत्र को सद्बुद्धि दे पाने में नाकाम रहा हो वही उसी तरह का व्यवहार कर्मचारियों के साथ किए जाने को सेंसरशिप मान सकता है”।

हमको नहीं भूलना चाहिए कि तवलीन सिंह के बेटे और पत्रकार आतिश तासीर ने लोकसभा चुनाव से पहले टाइम मैगजीन में एक कवर पेज पर लेख लिखा था जिसमें उन्होंने मोदी को “डिवाइडर इन चीफ” करार दिया था। यह लेख बेहद चर्चित हुआ था। और उसके चलते बाद में उनके ओआईसी के सर्टिफिकेट को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया था।

फिर इसका जवाब देते हुए तवलीन सिंह ने आगे कहा कि “मैं इस बात को लेकर निश्चित हूं कि आपने अपने बेटे को भरपूर सद्बुद्धि दी होगी। लेकिन यह परिवार का मामला नहीं है। आप ने बेजोस से यह कहकर भारत को शर्मिंदा किया है कि अगर उन्हें भारत में बिजनस करना है तो सबसे पहले उन्हें अपने अखबार में सेंसरशिप लागू करनी होगी।”    

गांधी की समाधि पर बेजोस।

हालांकि चौथाईवाले ने सीधे इसमें वाशिंगटन पोस्ट का जिक्र नहीं किया था। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक बयान में उन्होंने इस बात को साफ कर दिया। उस समय उनके दिमाग में दि वाशिंगटन पोस्ट ही था। उन्होंने कहा कि “अगर श्री बेजोस भारत और उसके लोकतंत्र को लेकर इतने ही सकारात्मक हैं। तो मैं कहना चाहता हूं कि उन्हें यही संदेश दि वाशिंगटन पोस्ट में कार्यरत अपने कर्मचारियों को देना चाहिए। मेरा मानना है कि वाशिंगटन पोस्ट श्री मोदी के खिलाफ न केवल एकतरफा है बल्कि पक्षपाती भी रुख लिए हुए है”।

अमेजॉन के फाउंडर, वाशिंगटन पोस्ट के मालिक और दुनिया के सबसे धनी शख्स के साथ केवल चौथाईवाले ने ऐसा व्यवहार नहीं किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको मिलने का समय भी देना जरूरी नहीं समझा। और उसके पीछे पीएम की व्यस्तता का हवाला दिया गया। और उस पर फिर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के उस बयान ने घड़ों पानी डाल दिया जिसमें उन्होंने कहा कि अमेजन एक बिलियन डालर का निवेश कर कोई एहसान नहीं कर रहा है।

चौथाईवाले ने तो मानो बेजोस के खिलाफ अभियान ही छेड़ दिया। उन्होंने रायटर्स से बातचीत में कहा कि भारत की कवरेज को लेकर उनके अखबार के साथ ढेर सारी समस्याएं हैं। हालांकि उन्होंने कोई विशेष उदाहरण नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन पोस्ट की संपादकीय नीति बेहद पक्षपाती और एजेंडा वाहक है।

दि टेलिग्राफ ने अपने संपादकीय पेज पर इसको जगह दी जिसमें उसने साफ-साफ कहा कि बेजोस को इस तरह से अपमानित करने की मुख्य वजह वाशिंगटन पोस्ट द्वारा लिया गया संपदकीय स्टैंड है।

यह सच है कि कश्मीर से लेकर नागरिकता संशोधन विधेयक पर दि वाशिंगटन पोस्ट काफी मुखर है। और उसने इस कड़ी में दो तीन ऐसे भी काम किए हैं जो मोदी सरकार की भौंहों को टेढ़ा करने के लिए काफी थे।

जिसमें उसने “गुजरात फाइल्स” किताब लिखने वाली पत्रकार और लेखक राणा अयूब को ग्लोबल ओपिनियन राइटर के तौर पर नियुक्त किया है। साथ ही हमेशा से मोदी सरकार के सत्ता का कांटा रहीं पत्रकार बरखा दत्त को पेपर का नियमित स्तंभकार बनाकर एक और दुश्मनी मोल ले ली।

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