सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल ने मणिपुर सरकार को धार्मिक स्थलों और विस्थापितों की संपत्तियों की सुरक्षा का निर्देश दिया

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मणिपुर की हिंसा की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस गीता मित्तल के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट आ गयी है। कमेटी ने राज्य सरकार को कई निर्देश दिए हैं। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रदेश में स्थित सभी धार्मिक इमारतों की तुरंत पहचान कर उनकी सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं। और धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त, नष्ट होने और अतिक्रमण से भी बचाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने राज्य सरकार से विस्थापित लोगों की संपत्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और उन संपत्तियों को अतिक्रमण से बचाने के लिए कहा है जिनको हिंसा के दौरान बर्बाद कर दिया गया या फिर जला दिया गया है। 

कमेटी ने 8 सितंबर को राज्य के अधिकारियों के साथ अपनी बैठक में उनसे कहा कि “मणिपुर सरकार को तत्काल राज्य के सभी धार्मिक इमारतों की पहचान करनी चाहिए (जिसमें चर्च, हिंदू मंदिर, सानामाही मंदिर, मस्जिद या किसी भी धर्म की कोई भी इमारत शामिल है) वह मौजूदा समय में मौजूद है या फिर उसे 03.05.2023 से शुरू हुई हिंसा में तोड़ दिया गया है/ क्षतिग्रस्त कर दिया गया है/ जला दिया गया है।”

ऐसा कहा जा रहा है कि इस तरह की इमारतों का ‘अतिक्रमण’ और ‘क्षति/विनाश’ से बचाने का भी निर्देश दिया गया है।

इस महीने की शुरुआत में मणिपुर पुलिस ने एक बयान में बताया था कि 3 मई से शुरू जातीय हिंसा के दौरान राज्यभर में तकरीबन 386 धार्मिक स्थलों को आगजनी के जरिये नष्ट कर दिया गया था। इसमें 254 चर्च और करीब 132 मंदिर शामिल हैं। ये धार्मिक ढांचे उन 5132 मामलों में शामिल हैं जो हिंसा और आगजनी के तहत दर्ज हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हिंसा के मानवीय पहलुओं की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। समिति में बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जज शालिनी पी जोशी और दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन भी शामिल हैं।

ऐसा कहा जा रहा है कि कमेटी ने सु्प्रीम कोर्ट के सामने आयी एक याचिका के तथ्यों की भी जांच की जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि “3 मई को शुरू हुई हिंसा में 240-247 चर्चों में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी जैसी वारदात को अंजाम दिया गया है और इसके साथ ही फर्नीचर, कीमती सामान, पैरिश चर्च रजिस्टर और स्वामित्व दस्तावेजों को या तो लूट लिए गए या जानबूझकर जला दिए गया”।

जून में इंफाल के आर्कबिशप डोमिनिक लुमोन ने एक पत्र लिखकर दावा किया था कि हिंसा शुरू होने के 36 घंटों के भीतर मैतेई ईसाइयों के 249 चर्च नष्ट कर दिए गए।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह मणिपुर की सभी संपत्तियों और 03.05.2023 की हिंसा में नष्ट संपत्तियों का सर्वे कराए और फिर उनकी अलग से पहचान कराए।

सुप्रीम कोर्ट को सौंपे अपने नोट में, समिति ने सिफारिश की है कि न्यायालय ‘इस आशय का आदेश’ पारित करे कि “ऐसा न करने पर संबंधित व्यक्ति भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन न करने के लिए अदालत की अवमानना का उत्तरदायी होगा।”

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