पहलगाम के आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी संगठनों के नौ ठिकानों पर की गई कार्रवाई से दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया। जब तक युद्ध चल रहा था, तब तक दोनों देशों में युद्धोन्माद का माहौल रहा। लेकिन अचानक अमेरिका, जिसने पहले कहा था कि उसका इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं है, ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा कर दी। इसके बाद माहौल बदल गया और लोगों को बड़ी राहत महसूस हुई।
ऐसा लगता है कि युद्ध कोई नहीं चाहता था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कश्मीर समस्या को हल करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश भी की है। यही डोनाल्ड ट्रम्प कुछ दिन पहले फिलिस्तीनियों को मिस्र, जॉर्डन आदि देशों में बसा कर गाजा को खाली कराने और उसे अमेरिका को सौंपने की बात कर रहे थे। इसलिए अमेरिका की कोई भी भूमिका संदिग्ध है।
पहलगाम पर हमला इसलिए हुआ क्योंकि पाकिस्तान कश्मीर को विवादित मानता है। भारत और पाकिस्तान के बीच जो युद्ध शुरू हुआ था, उसमें तो युद्धविराम हो गया। सभी लोग राहत महसूस कर रहे हैं। लेकिन कश्मीर के लोग अभी भी असुरक्षित हैं। यह गारंटी नहीं है कि कल वहाँ कोई छोटा या बड़ा आतंकवादी हमला नहीं होगा। दो देशों की लड़ाई में कश्मीर के लोग अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इसका हल हमें निकालना ही होगा।
भारत, पाकिस्तान से बात किए बिना इस समस्या का कोई हल नहीं निकाल सकता। फिर, कश्मीर का जो भी हल निकले, वह वहाँ के लोगों की सहमति के बिना नहीं हो सकता। जब तक कश्मीर के लोगों की राय के मुताबिक कोई हल नहीं निकाला जाता, आतंकवाद की समस्या बनी रहेगी।
हम उम्मीद करते हैं कि इस युद्ध से हमारे नेताओं ने कम से कम इतना सबक तो सीखा होगा। पाकिस्तान को सबक सिखाने के बजाय यदि वे कश्मीर की समस्या का हल निकालें तो यह अधिक सार्थक होगा। अमेरिका, जिसकी वजह से शांति स्थापित हुई, पाकिस्तान को आतंकवाद के संरक्षक के रूप में उस तरह से नहीं देखता जैसा हम देखते हैं।
अमेरिका ने भी पाकिस्तान में जाकर ओसामा बिन लादेन को मारा, लेकिन उसने पाकिस्तान की सरकार को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया। उसने पाकिस्तान के साथ अपने सामान्य संबंध कायम रखे। हकीकत यह है कि पाकिस्तान में अब तक 22,000 लोग आतंकवादी घटनाओं में मारे जा चुके हैं। वहाँ के लोग भी आतंकवाद से त्रस्त हैं। इसलिए दोनों देशों की सरकारों को मैत्री व शांति की पहल करते हुए आतंकवाद जैसी समस्या को समाप्त करने का बीड़ा उठाना चाहिए।
हम पहलगाम में मारे गए 26 लोगों और उसके बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध में मारे गए दोनों पक्षों के सभी निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
(संदीप पाण्डेय सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय महासचिव हैं)