पिछले दस बरस संसद में सत्तारूढ़ पार्टी का दंभ जिस तरह फूला फला, मनमानियों का दौर चला, झूठ का परचम लहराया, विपक्ष को ठिकाने लगाने की पुरज़ोर कोशिशें चलीं शुक्र मनाइए, 2024 का आम चुनाव इसका समाधान लेकर आया है। कहने को तो केन्द्र में फिर वही मोदी सरकार है किंतु वह बहुमत से दूर जेडीयू और तेलुगदेशम की टांगों पर सधी हुई है। दूसरी तरफ है इंडिया गठबंधन यानि सशक्त विपक्ष, जिसने प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी को बनाया है।
जिस राहुल गांधी को पप्पू बनाने में अरबों रुपए भाजपा ने अवाम के खर्च किए आज वही जनता की पैरवी करने सदन में हुंकार रहा है। उसके साथ इंडिया गठबंधन की गर्जना का असर यह हुआ है कि भाजपा के तमाम तोते हाथ से निकलने और आज़ाद हवा में उड़ने को बेचैन हैं। राहुल गांधी के घर छापेमारी की ख़बर लीक होना यही दर्शाता है। आलम ये है कि अब सवाल दर सवाल उछालने वाले विपक्ष ने मोदी-शाह की हालत खस्ता कर दी है संसद में लोगों को विपक्ष की भूमिका समझ में आने लगी।
विदित है, 2014 और 2019 में स्पष्ट बहुमत से ज्यादा सांसदों के साथ दो बार सरकार बनाने वाले मोदी जी ने बहुत ही एकतरफा तरीके से सरकार चलाई थी, विपक्ष एक तो संख्याबल में बेहद कमजोर था ऊपर से मोदी शाह की जोड़ी ने संसद में विपक्ष की आवाज को पूरी तरह से कुचलते हुए मनमाने तरीके से संसद से बिल पास करवाए, विपक्ष तो छोड़िए, संबंधित पक्षों से भी कोई सलाह मशविरा नहीं किया और कानूनों को जबरन थोपने का काम किया।
मोदी शाह की जोड़ी ने हम दो, हमारे दो की नीति से दस वर्षों तक लोकतंत्र को कुचलते हुए शासन किया। इस कालखंड में इन्होंने तमाम संवैधानिक संस्थाओं को पंगु बना दिया था, तमाम पीएसयू को अपने करीबी मित्रों को कौड़ियों के दाम पर दे दिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पूरी तरह से कब्जे में लेकर अपने ढंग से खबरें चलवाने लगे, मीडिया से भी विपक्ष की न केवल आवाज दबाई बल्कि उसे ही कटघरे में खड़े करवाते रहे, पूरे दस साल पालतू मीडिया विपक्ष को देशद्रोही बताने में शिद्दत से लगा रहा। बाकी का काम अपने आईटी सेल और अंधभक्तों के जरिए कराते रहे, आशय यह है कि सरकार के विरोध में कहीं कोई आवाज़ न हो। देश की जनता को राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता में उलझाकर अपने करीबियों के एजेंडों को पूरा किया। तात्पर्य यह कि बहुमत के अहंकार में सरकार आत्ममुग्ध होकर चलाई गई।
सारी परिस्थितियां अपने पक्ष में करते हुए सरकार 2024 के चुनाव की तैयारीयों में जुट गई कि तीसरी बार भी बड़े बहुमत की सरकार बनाएंगे और नारा दिया भाजपा 370 सीटें तथा एनडीए 400 पार। इस लक्ष्य को हासिल करने हेतु मोदी जी ने राम मंदिर निर्माण को आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक बनवाया। कमजोर विपक्ष को भी तोड़ा। सरकारी एजेंसियों का खुलकर दुरुपयोग किया। चुनाव आयोग को सरकारी भोंपू बनाया। मीडिया तो पूरी तरह से सरकार के पक्ष में सक्रिय रखा। यह सब 2024 में बड़ी जीत की कवायद थी।
चुनाव हुए तो सरकार और संगठन को बड़ा झटका लगा, भाजपा स्वयं के बूते बहुमत से दूर रह गई और केंद्र में एनडीए की सरकार बनी। मोदी शाह का अहंकार टूटा तो नहीं पर जमीन पर गिर आया, पर इनकी पालतू मीडिया, आईटी सेल और बुद्धिहीन अंधभक्तों का दंभ कम नहीं हुआ और कहने लगे कि क्या हुआ, 240 सीटें लेकर सरकार तो मोदी की ही बनी है। मोदी जी उसी जलवे से सरकार चलाएंगे, विपक्ष को पूरी तरह से साफ कर देंगे, विपक्ष उन्हें नहीं रोक पायेगा।
अब आंखें खोल कर देखिए, वही राहुल गांधी इस बार लोकसभा में विपक्ष के नेता बनकर मोदी शाह को सीधी चुनौतियां दे रहे हैं। उन्होंने सरकार को बैकफुट में धकेल दिया है। जिस मोदी सरकार ने विपक्ष को पूरी तरह से खारिज करते हुए संसद से मनमाने ढंग से बिना चर्चा किए, सारे बिल पास करवाए थे। वही मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा के इस बार 240 पर सिमटने से क्या बड़े बदलाव हुए,आज साफ दिख रहा है।
सरकार को UPSC में लेटरल एंट्री वाला फैसला वापस लेना पड़ा। सरकार को वक्फ बोर्ड वाला बिल दस वर्षों में पहली बार सिलेक्ट कमेटी को भेजना पड़ा। सरकार को ब्रॉडकास्टिंग बिल पर फिलहाल रोक लगानी पड़ी। लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति की मनमानियों पर अंकुश लगा।वे सुरक्षा की मांग करने लगे। आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर मोदी जी को अपने सांसदों को कहना पड़ा कि उनकी सरकार इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखती और आरक्षण उसी स्वरूप में जारी रखेंगे।
इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय ने कश्मीर में सितम्बर तक चुनाव कराने जो आदेश दिए उससे भी जाहिर है वहां से इनका सफाया तय है। मोदी मीडिया भी अब विपक्ष को हाथों हाथ लेने लगी है। मोदीजी की चमक फीकी हो गई है इसलिए प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी जब सदन में बोलने वाले होते हैं तो साहिब जी बहाना बनाकर भाग जाते हैं या आते ही नहीं है। ये सब उन करतूतों का प्रतिफल जो देशवासियों को झेलनी पड़ी है। वे आंख मिलाने के काबिल नहीं रहे।
इत्तफाक से येन केन प्रकारेण इनकी सरकार बन तो गई है पर 2024 का देखा स्वप्न हिंदू राष्ट्र की स्थापना और संविधान ख़त्म करने वालों की हालत गंभीर है वे जिस पीर से गुजर रहे हैं उसमें विपक्ष की ताकत के साथ देशवासियों के इरादे भी स्पष्ट हुए हैं जो यह बताते हैं कि आने वाले कल में अब इन्हें सिर्फ खोना ही है। कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव इनका वितान उखाड़ फेंक देंगे।
जनता जनार्दन की परिपक्व राजनीति का ये सुफल है कि सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच जो बहुत दूरी थी वह अब लगभग समान स्थिति में है। इसलिए ज़रूरी है सत्ता, विपक्ष की आवाज़ को जनता की आवाज़ मानकर ही कोई निर्णय ले। तभी स्वस्थ लोकतंत्र की पुनर्स्थापना होगी तथा संसद की शालीन परिपाटी की वापसी संभव होगी। यह कहना समीचीन होगा कि सशक्त विपक्ष ही संसद को नवजीवन दे पाएगा। इसके आसार स्पष्ट नज़र आने लगे हैं।
(सुसंस्कृति परिहार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
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