प्रयागराज शहर के शिवकुटी स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) में एमटेक फाइनल की छात्रा जया पांडेय की रविवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। संस्थान का प्रशासक वर्ग स्थानीय शिवकुटी थाने की पुलिस की मिलीभगत से पूरे मामले में लीपापोती की कोशिश में लगा है। ऐसा आरोप संस्थान की एमटेक एवं पीएचडी पाठ्यक्रमों की समस्त छात्राओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भेजे गये पत्र में लगाया है।
पत्र में कहा गया है कि हम प्रार्थीगण एम.एन.एन.आई.टी. संस्थान के विभिन्न पाठ्यक्रमों की छात्रायें हैं। विगत वर्षों में कई छात्राओं को शारीरिक एवं मानसिक शोषण कुछ अध्यापकों एवं पीएचडी पुरूष छात्रों के द्वारा किया जाता रहा है। भविष्य को लेकर चिन्तित होने की वजह से कुछ छात्राएं चुपचाप यातना बरदास्त कर लेती हैं तो कुछ छोड़कर चली जाती हैं। कल की घटना में एक पीएचडी छात्र (पत्र में नाम भी दिया गया है) से परेशान छात्रा जया ने खुदखुशी कर ली, जिसे संस्थान प्रशासन सामान्य मृत्यु बताकर पुलिस के सहयोग से लिपापोती कर रहा है।
6 दिसम्बर21 को लिखे पत्र में कहा गया है कि हम लोगों के गोपनीय प्रार्थनापत्र पर श्रीमती स्मृति ईरानी, महिला एवं बाल विकास मंत्री भारत सरकार ने पत्रांक संख्या 882 दिनांक 17सितम्बर 2021 के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया था कि चार अध्यापकों (पत्र में चारों का नाम भी दर्ज़ है) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उचित कार्यवाही करें। उक्त अध्यापक छात्राओं के शोषण के दोषी थे, जिन्हें निदेशक ने निर्दोष घोषित कर दिया था। ये सभी आध्यपक निदेशक के करीबी एवं भ्रष्टाचार के सहयोगी हैं। अक्टूबर माह से अब तक सिर्फ लिपापोती की जा रही है। डीपीओ प्रयागराज भी निदेशक से मिले हुए प्रतीत होते हैं। पत्र में अनुरोध किया गया है कि उच्च स्तरीय जांच कराकर, एफआईआर दर्ज कर उचित कार्यवाही करवाने की कृपा करें।
मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनएनआईटी) से एमटेक कर रही रोहतास बिहार निवासी विजय कुमार पांडेय की पुत्री जया पांडेय(24) की संदिग्ध हाल में मौत हो गई। संस्थान प्रशासन का कहना है कि रात में अचानक उसकी तबियत बिगड़ी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां इलाज के दौरान रविवार दोपहर उसकी मौत हो गई। डाक्टरों का कहना है कि उसने ब्लड प्रेशर की करीब 40-45 गोलियां खा ली थीं। इसके चलते हार्टअटैक हो गया। उधर, पिता का कहना है कि छात्रा को कोई बीमारी नहीं थी। फिलहाल शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

मूल रूप से बिहार के रोहतास जनपद स्थित धरकंदा थाना क्षेत्र के एक भूमिहार परिवार की बेटी दावद की रहने वाली थी। वर्तमान में वह एमटेक फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रही थी। वह एमएनएनआईटी के आईएचबी गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी। उसके पिता विजय कुमार सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार रात दो बजे के करीब उनके पास एमएनएनआईटी से फोन आया कि जया की तबियत अचानक बिगड़ गई है और उसे अस्पताल ले जाया जा रहा है।
सुबह शहर पहुंचने पर जानकारी मिली कि उसे सिविल लाइंस स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां दोपहर में उसकी मौत हो गई। पिता के मुताबिक, चीफ वार्डन विजया भदौरिया ने बताया कि रात में जया ने ब्लडप्रेशर बढ़ने पर दवा खाई थी और इसके बाद ही उसकी तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। पिता का यह भी कहना है कि उनकी बेटी को कोई बीमारी नहीं थी और उन्हें नहीं पता कि ब्लडप्रेशर कैसे बढ़ा और इसकी दवाएं उसके पास कहां से आईं। सिविल लाइंस पुलिस का कहना है कि छात्रा का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पिता का कहना है कि बेटी जिस अस्पताल में भर्ती थी, वहां के डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि छात्रा ने ब्लडप्रेशर कम करने की 40-45 गोलियां खाई थीं। सवाल यह है कि एमटेक कर रही छात्रा इतनी ज्यादा मात्रा में दवा क्यों खाएगी। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि इतनी ज्यादा मात्रा में उसके पास दवाएं आखिर कहां से आईं।
पिता ने बताया कि जया उनकी इकलौती संतान थी। स्कूली शिक्षा के बाद उसने पटना स्थित कॉलेज से बीटेक किया था। इसके बाद पिछले साल एमएनएनआईटी में दाखिला लिया। रात नौ बजे के करीब उससे फोन पर बात हुई थी। इस दौरान उसने सामान्य तरीके से बातचीत की। वह बहुत खुश भी थी और उसकी बातों से कहीं से भी यह नहीं लगा कि वह किसी चीज को लेकर परेशान है। बीमार होने या तबीयत खराब होने की बात भी उसने नहीं बताई। रात दो बजे के करीब हॉस्टल के चीफ वार्डेन का फोन आया कि उसकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। फिर उससे बात नहीं हो पाई। सुबह 11 बजे के करीब अस्पताल पहुंचकर देखा कि वह आईसीयू में एडमिट थी। कुछ देर बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि वह जिस हाल में अस्पताल लाई गई, उससे यही लग रहा है कि उसने बीपी कम करने की 40-45 गोलियां खा लीं।इसी के चलते अचानक उसका बीपी लेवल बहुत कम हो गया और हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत हो गई। पिता का कहना है कि उनकी बेटी को कोई बीमारी नहीं थी। ऐसे में यह समझ से परे है कि उसने बीपी कम करने की दवा क्यों खाई।
(इलाहाबाद से वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)