बृजभूषण शरण सिंह के घर से चल रहा है भारतीय कुश्ती संघ का कामकाज

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भारतीय कुश्ती संघ की आधिकारिक वेबसाइट पर संघ का कार्यालय 101, हरि नगर, आश्रम चौक, नई दिल्ली 110014 भले ही लिखा नजर आये, लेकिन तथ्य यह है कि उस पते पर कई महीनों से किसी और का कार्यालय चल रहा है। कुश्ती संघ का सारा कामकाज फिर से भाजपा के पूर्व सांसद बृज भूषण शरण सिंह के आवास 21 अशोक रोड पर स्थानांतरित हो चुका है। 

इंडियन एक्सप्रेस की शोधपरक रिपोर्ट से इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि खेल मंत्रालय के द्वारा 2023 में WFI की मान्यता रद्द किये जाने के बाद इसके कार्यालय को हरि नगर के पते पर स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन उस पते पर जब इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता ने पूछताछ की तो जानकारी मिली कि पिछले कई महीनों से WFI वहां से जा चुकी है। 

आज सुबह से ही यह मुद्दा काफी गर्मा चुका है, जिसे देखते हुए आईएएनएस और ANI समाचार एजेंसी ने WFI अध्यक्ष संजय सिंह और बृज भूषण शरण सिंह के बयान लेकर सफाई अभियान भी चालू कर दिया है।  

बता दें कि खेल मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में WFI को निलंबित करने के कारणों में आरोपी बृज भूषण सिंह के आवास से फेडरेशन के कामकाज को जारी रखने को प्रमुखता दी थी। आज जब फिर से WFI का संचालन उसी स्थान पर यथावत जारी है, जो खेल मंत्रालय और मोदी सरकार के लिए, वो भी ऐन दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त शर्मिंदगी का कारण बन रहा है।   

यह वही स्थान है, जिसके बारे में देश की टॉप महिला पहलवानों ने आरोप लगाये थे कि बृज भूषण सिंह उन्हें बुलाकर यौन दुर्व्यवहार किया करता था।  यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि मई 2024 में लोकसभा का चुनाव न लड़ने के बावजूद बृज भूषण सिंह के नाम अभी तक अशोका रोड आवास कैसे आवंटित है?

दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में दो महिला पहलवानों के आरोप दर्ज हैं कि बृजभूषण सिंह के आधिकारिक सांसद निवास 21 अशोक रोड पर पर स्थित WFI कार्यालय में उनसे छेड़छाड़ की गई, था और उन्हें गलत ढंग से छुआ गया था।

न्यूज़ एजेंसी ANI ने WFI अध्यक्ष संजय सिंह से इस बाबत जब सवाल किया तो उनकी सफाई आई है कि, “कुश्ती महासंघ का कार्यालय अभी भी हरि नगर में है। हमारा कामकाज अभी भी वहीं से चल रहा है, हालांकि हमने कनॉट प्लेस में नया स्थान ढूंढ लिया है और 2 फरवरी को वहां शिफ्ट हो जाएंगे।”

यही न्यूज़ एजेंसी ANI सुबह-सुबह बृजभूषण शरण सिंह से उनका पक्ष पूछने चली गई थी।  इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बृज भूषण सिंह से जब WFI के उनके आवास पर वापस आने के बाबत सवाल किया तो उनका साफ़ कहना था कि वे कुश्ती के बारे में कोई बात नहीं करना चाहते।  उनसे दिल्ली चुनाव या उत्तर प्रदेश के मामलों पर सवाल करना है तो कर सकते हैं।  

लेकिन आज जब इंडियन एक्सप्रेस ने इस मुद्दे को अपनी लीड खबर बनाया तो ANI से बात करते हुए उनका कहना है कि, “फिलहाल WFI का कार्यालय हरि नगर में ही स्थित है और हम एक नई जगह की तलाश कर रहे हैं।  मैं लंबे समय से कुश्ती से जुड़ा रहा हूं और इसके चलते पहलवान और खेल से जुड़े लोग 21अशोक रोड (बृजभूषण शरण सिंह के निवास) पर आते रहते हैं।  WFI कार्यालय के स्थान को लेकर कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। इसका फैसला फेडरेशन करेगा और वे इसकी तलाश कर रहे हैं। ”

लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता तो जुलाई 2024 और हाल में भी हरि नगर वाले WFI कार्यालय के बारे में जानकारी जुटाकर इसका खुलासा कर चुकी है, लिहाजा भाजपा सरकार को शर्मिंदगी से बचाने के लिए अब कनाट प्लेस में WFI के लिए कार्यालय तलाश किये जाने की बात कही जा रही है।  

पीएम मोदी के फ्लैगशिप प्रोग्राम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के दस वर्षों की उपलब्धि 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा अपने पहले कार्यकाल के दौरान जिन दो कार्यक्रमों “स्वच्छता अभियान” और “बेटी बचाओ-बेटी पढाओ” ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था, उसमें बेटी बचाओ को दस वर्ष पहले पीएम मोदी ने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत से शुरू किया था।  

इन दोनों अभियान की हालत क्या है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि 22 जनवरी को पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से जैसे ही बेटी बचाओ अभियान के दस वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश को बधाई संदेश प्रेषित किया तो कमेंट में बड़ी संख्या में लोग देश के विभिन्न स्थानों से महिला अत्याचार की खबरों को टैग कर सवालों की झड़ी लगा दिए। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मल्लिकार्जुन खरगे ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को खरीखोटी सुनाते हुए कई महत्वपूर्ण प्रश्न किये हैं। अपने सोशल मीडिया हँडल पर खरगे ने पूछा है, “बेटी बचाओ के दस साल, मोदी जी से हमारे तीन सवाल-

बेटी बचाओ” की जगह “अपराधी बचाओ” की नीति भाजपा ने क्यों अपनाई? मणिपुर की महिलाओं को न्याय कब मिलेगा? हाथरस की दलित बेटी हो या उन्नाव की बेटी, या फ़िर हमारी चैंपियन महिला पहलवान, भाजपा ने हमेशा अपराधियों को संरक्षण क्यों दिया? 

क्यों देश में हर घंटे महिलाओं के ख़िलाफ़ 43 अपराध रिकॉर्ड होते हैं? हर दिन 22 अपराध ऐसे हैं जो हमारे देश के सबसे कमज़ोर दलित-आदिवासी वर्ग की महिलाओं व बच्चों के ख़िलाफ़ दर्ज होते हैं। मोदी जी लाल क़िले के भाषणों में कई बार महिला सुरक्षा पर बोल चुके हैं, पर कथनी और करनी में फ़र्क क्यों? 

क्या कारण है कि 2019 तक “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना के लिए आवंटित कुल धनराशि का क़रीब 80% केवल मीडिया-विज्ञापन में ख़र्च हुआ? 

जब संसदीय स्थायी समिति ने ये तथ्य उजागर किया, तब इस योजना में इस्तेमाल किये गए फंड में 2018-19 के बीच  2022-23, 63% की भारी कटौती की गई, और बाद में इसको “मिशन शक्ति” के अंतर्गत “संबल” नामक स्कीम में नियोजित करके, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना पर खर्च किये आँकड़े ही मोदी सरकार ने देने बंद कर दिए। 

“संबल” के 2023-24 के आवंटित फंड और उपयोग किये गए फंड में भी 30% की कटौती हुई है। ये आँकड़ों की हेराफ़ेरी क्या छिपाने के लिए की गई? 

पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने महिला एवं बल विकास मंत्रालय पर ख़र्च हुआ बजट, पूरे बजट के खर्च की तुलना में आधा क्यों कर दिया? 

क्या हर ट्रक के पीछे “बेटी बचाओ” चिपकाने या फ़िर हर दीवार पर ये पेंट करवा देने से महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध, उनके लिए रोज़गार के अवसर, उनको अच्छी स्वास्थ्य सुविधा या महिलाओं को अत्याचार के बाद न्याय मिलेगा?”

महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बीजेपी शासित राज्यों में लगातार बढ़े हैं।  लेकिन उससे भी अधिक शर्मनाक तथ्य तो यह है कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भाजपा के आईटी सेल के पदाधिकारियों से लेकर हरियाणा राज्य बीजेपी अध्यक्ष, मोहन लाल बडोली के खिलाफ भी रेप के आरोपों पर भाजपा और मोदी सरकार कन्नी काट लेती है।  

WFI के मुद्दे पर भी नहीं लगता कि सरकार फेडरेशन के अध्यक्ष संजय सिंह से कड़ाई से तलब करने वाली है। बृज भूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं, और मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है। पांच बार के सांसद बृज भूषण शरण सिंह का दबदबा पहले भी था, और भाजपा के लिए उनका रुतबा आज भी कायम है। बृज भूषण दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाएं कर रहे हैं।  

पूर्व ओलंपियन और हरियाणा से कांग्रेस विधायक, विनेश फोगाट ने इस पूरे मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय और खेल मंत्री मनसुख मांडविया को टैग करते हुए लिखा है, “फेडरेशन के साथ साँठ गाँठ करके देश के सबसे पुराने खेल को दाँव पे लगाने की साज़िश कर रहा है और और यह धमकियाँ दिलवा कर सरकार को डराना चाहता है ताकि इनको फ्री हैंड मिल सके देश की बेटियों की इज़्ज़त के साथ जो इतने सालों तक यह बृजभूषण जो नीचता करता रहा उसको यह बरकरार रख सके। 

देखने और सोचने वाली बात यह है इंटरनेशन फेडरेशन इनका इतना सब साथ दे क्यों रहे हैं? क्या इसकी जाँच नहीं होनी चाहिए अब देश विरोधी ताकतें देश का नाम ख़राब नहीं कर रही?

अब देखना यह है हमारे प्रधानमन्त्री जी इस बृजभूषण और इसकी गैंग को कब लाल आँख दिखायेंगे और अपना डंका बजायेंगे।”

(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)

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