राजदीप पर अवमानना केस नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दी सफाई

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उच्चतम न्यायालय  के प्रवक्ता ने 16 फरवरी की रात स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस नहीं दर्ज हुआ है। प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, “केस नंबर SMC (Crl) 02/2021 का स्टेटस सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अनजाने और असावधानी में डाल दिया गया था।

इससे पहले  रिपोर्ट आयी थी कि उच्चतम न्यायालय ने खुद ही संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस दर्ज किया है।

पहले कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय  ने न्यायपालिका के संबंध में कथित आपत्तिजनक ट्वीट को लेकर पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना मामला दर्ज किया है। इस मामले में अटॉर्नी जनरल द्वारा केस चलाने से इनकार किए जाने के पाँच महीने बाद कोर्ट ने शिकायत पर स्वत: संज्ञान लिया है और राजदीप के ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना का केस दर्ज किया है। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 17 सितंबर 2020 को सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया था।

यह मामला आस्था खुराना द्वारा अधिवक्ता ओम प्रकाश परिहार के जरिए दायर एक याचिका के बाद दर्ज किया गया है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए देश के प्रधान न्यायाधीश से अनुरोध किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि मौजूदा अवमानना याचिका देश के संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी के खिलाफ दायर की जा रही है। यह याचिका इस न्यायालय द्वारा पारित प्रत्येक आदेश पर टिप्पणियों को लेकर है जिससे देश के नागरिकों के मन में उच्चतम न्यायालय की छवि खराब होती है।

संविधान के अनुच्छेद 129 के अनुसार उच्चतम न्यायालय रिकॉर्ड न्यायालय होगा और उसको अवमानना के लिये दंड देने की शक्ति सहित ऐसे न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी। याचिका में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने अतीत में विभिन्न ऐतिहासिक फैसले पारित किए हैं और कथित प्रतिवादी ने प्रत्येक फैसले पर विभिन्न अपमानजनक टिप्पणियां की हैं और अदालत की निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

याचिका में संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए देश के चीफ जस्टिस से अनुरोध किया गया है।याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत ने अतीत में विभिन्न ऐतिहासिक फैसले पारित किए हैं और कथित प्रतिवादी ने प्रत्येक फैसले पर विभिन्न अपमानजनक टिप्पणियां की हैं और अदालत की निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

जब प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिया गया था तो राजदीप सरदेसाई ने एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट के अलावा सरदेसाई के और कई ट्वीट्स को आस्था खुराना ने अपनी याचिका का हिस्सा बनाया है।राजदीप ने इस ट्वीट में लिखा था कि प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी ठहराया। ये तब है जब कश्मीर में हिरासत में रखे गए लोगों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं एक साल से ज्यादा समय से लंबित हैं।

बाद में जब भूषण पर कोर्ट ने 1 रुपये का जुर्माना लगाया था, तब भी राजदीप ने एक ट्वीट किया था। इसमें कहा गया था कि कोर्ट खुद के बनाए शर्मनाक हालात से बाहर आने की कोशिश करता हुआ।खुराना ने सरदेसाई के उन पुराने ट्वीट्स को भी अपनी याचिका में डाला, जिसमें उन्होंने प्रशांत भूषण का केस सुनने वाले जस्टिस अरुण मिश्रा और पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर कथित आक्षेप लगाया था।

याचिका में अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर अदालत की अवमानना के लिए एक रुपये का जुर्माना लगाने के न्यायालय के फैसले के संबंध में सरदेसाई द्वारा 31 अगस्त, 2020 को किए गए ट्वीट का हवाला दिया गया है। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पर भी अवमानना का ऐसा ही केस चल चुका है, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था। बाद में उन पर एक रुपये का जुर्माना लगा था।

उच्चतम न्यायालय ने भूषण को 15 सितंबर तक उसकी रजिस्ट्री में एक रुपये की जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जुर्माना राशि जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह की जेल हो सकती है और वकालत से तीन साल तक प्रतिबंधित किया जा सकता है। इसके बाद, भूषण ने एक रुपये का जुर्माना अदा कर दिया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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