सर्व सेवा संघ की जमीन को हड़पने के लिए मोदी-योगी सरकार ने गांधीजनों के ऊपर लगाए झूठे दस्तावेज बनाने के आरोप

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वाराणसी। न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह आज 43 वें पड़ाव पर पहुंच गया है। सत्याग्रह के क्रम में आज उपवास पर बैठने वालों में बिहार के चंपारण से पंकज सुपौल से सत्यनारायण प्रसाद और बांका से अनिल कुमार सिंह शामिल हैं।

पंकज एक पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता है जिनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत समाजवादी विचारधारा से हुई। वे समाजवादी युवजन सभा के सदस्य थे, लेकिन जब 74 आंदोलन के दरमियान जयप्रकाश नारायण ने सभी छात्रों-युवाओं से दलीय संगठनों से अलग होने का आह्वान किया तो वे युवजन सभा को छोड़कर पूरी तरह आंदोलन में शामिल हो गए।

जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति के लिए समर्पित युवाओं का निर्दलीय संगठन बनाया तो वे छात्र -युवा संघर्ष वाहिनी के कार्यकर्ता बन गए।

आपातकाल के विरोध के क्रम में जेल भी गए और तानाशाही के खिलाफ सक्रिय रहे। जब बोधगया में भूमि मुक्ति आंदोलन शुरू हुआ तो उसमें भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और वहां भी इन्हें जेल जाना पड़ा।

चंपारण में परचाधारियों का जमीन पर अधिकार कायम हो, इसके लिए लगातार प्रयासरत हैं। कई बार इन पर हमले हुए, पुलिस की लाठियां खाई और जेल गए। पंकज का पूरा जीवन संघर्ष और संकल्प का बेमिसाल उदाहरण है।

बिहार प्रदेश सर्वोदय मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष एवं सुपौल जिला के 72 वर्षीय सत्यनारायण प्रसाद आज के उपवास में शामिल हैं। सत्यनारायण प्रसाद कई प्रकार की सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहे हैं।

जब 1984 में कोसी नदी का पूर्वी तटबंध टूटा और 7 प्रखंड जलमग्न हो गए तो राहत के साथ-साथ इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए तकनीकी विशेषज्ञ दिनेश कुमार मिश्रा के साथ मिलकर काम किया। 1997- 98 में निर्मली प्रखंड स्वराज सभा नाम से एक संस्था का निर्माण कर सामाजिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया।

संत महेंद्र के संपर्क में आकर सर्वोदय से जुड़े और अब गांधी विचार के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं।

आज के सत्याग्रह के तीसरे व्यक्ति हैं-अनिल कुमार सिंह जो पेशे से इंजीनियर रहे हैं और बिहार सरकार के उद्योग विभाग में कार्यरत थे। जब वे रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज के छात्र थे, उस समय चेतनशील युवाओं का एक समूह बन गया था। इस समूह में पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव, अरुण कुमार, विधान चंद्र राय, श्रीनिवास सिन्हा, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण दास आदि शामिल थे।

गांधी, विनोबा, जयप्रकाश के विचार के संपर्क में तो छात्र जीवन में ही आ गए थे लेकिन सरकारी नौकरी में होने की वजह से सक्रिय भूमिका सीमित हो गई थी। अवकाश प्राप्त करने के बाद सर्वोदय से जुड़ने का मौका मिला और फिलहाल वे प्रदेश समिति के सदस्य हैं और उनके सामाजिक जीवन की दूसरी पारी शुरू हो गई है।

सत्याग्रह स्थल से यह बताया गया है कि आगामी 30 अक्टूबर 2024 को कार्यक्रम अपने 50 वें दिन में प्रवेश करेगा। इस दिन सभी सत्याग्रही अपने उन सभी पूर्वजों को सादगी पूर्ण तरीके से याद करेंगे जिन्होंने इंसानियत के सफर को समृद्ध करने में अपना योगदान दिया है।

ज्ञात हो कि सर्व सेवा संघ की खरीदी हुई जमीन को हड़पने के लिए सरकार और प्रशासन ने पूर्वजों के ऊपर झूठे दस्तावेज बनाने के आरोप भी लगाए थे।

आज के सत्याग्रह में उपवासकर्ता पंकज, सतनारायण प्रसाद, अनिल कुमार सिंह के अलावा धीरज कुमार, धीरज कुमार राम, गुरु प्रसाद, अलख भाई, शक्ति कुमार, महेश चौधरी, ध्रुव भाई, अंकित मिश्रा, रविंद्र भाई, अरुण कुमार मौर्य, अनिल कुमार, पूनम, सिस्टर फ्लोरिन, जागृति राही, नंदलाल मास्टर, तारकेश्वर सिंह, अशोक भारत, रामधीरज, सुरेंद्र नारायण सिंह, अरविंद अंजुम आदि शामिल हुए।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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