निर्भया को याद करते हुए महिला हिंसा के खिलाफ निकाला मशाल जुलूस

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वाराणसी। निर्भया कांड की 12वीं वर्षगांठ पर लोक समिति के तत्वावधान में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की मांग को लेकर सोमवार की रात जिला मुख्यालय कचहरी पर एक मशाल जुलूस निकाला गया।

यह जुलूस महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा की मांग का एक प्रतीक बनकर निकला, जिसमें आराजी लाइन और सेवापुरी ब्लॉक के कई गांवों से आई महिलाओं ने निर्भया को याद करते हुए समाज को एक बार फिर झकझोरने का प्रयास किया।

रात के अंधेरे में महिलाओं ने मशाल जलाते हुए “दिन है मेरा, रात भी मेरी, प्रकृति की हर रंगत मेरी” जैसे नारे लगाए। यह मशाल जुलूस शास्त्री घाट वरुणा पुल से प्रारंभ होकर गोलघर कचहरी होते हुए अंबेडकर पार्क तक पहुंचा। अंबेडकर पार्क में महिलाओं और अन्य प्रतिभागियों ने बाबा साहेब की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर संविधान और महिलाओं की सुरक्षा की रक्षा का संकल्प लिया।

जुलूस के पहले सत्याग्रह स्थल पर जनसभा का आयोजन किया गया। महिला चेतना समिति की संयोजिका रंजू सिंह ने कहा, “महिलाओं पर होने वाली हिंसा के लिए अक्सर उन्हीं को दोषी ठहराया जाता है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हर महिला को आगे बढ़ने का अधिकार है।

यदि काम या किसी अन्य कारण से उन्हें रात में घर से बाहर रहना पड़ता है, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है।”

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने कहा, “प्रकृति ने हमें सुबह, दोपहर, शाम और रात का तोहफा दिया है। यह हर इंसान का अधिकार है कि वह इस प्रकृति का लाभ उठाए।

परंतु, हमारे समाज में महिलाओं को रात के समय इस अधिकार से वंचित किया जाता है। यह विचारणीय है कि क्यों हमारी सड़कें महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं बन सकतीं।”

उन्होंने फासीवादी शासन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि, “इस शासन में महिलाओं पर दमन और शोषण बढ़ता है। यह पितृसत्तात्मक राजनीति का नतीजा है, जो महिलाओं को समानता और सुरक्षा प्रदान करने में असफल रही है।”

गांधीवादी विचारक रामधीरज ने कहा, “यह सवाल बार-बार उठता है कि रात में कोई महिला क्यों सुरक्षित महसूस नहीं करती? क्या रात में सड़कों पर शैतान घूमते हैं? यदि हां, तो उन शैतानों को कैद करना चाहिए, न कि महिलाओं को।”

कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता नीति ने निर्भया कांड का जिक्र करते हुए कहा, “16 दिसंबर 2012 की वह रात, जब एक युवती के साथ चलती बस में बर्बरता हुई, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उस बहादुर लड़की को ‘निर्भया’ का नाम दिया गया, जिसने न केवल लड़ाई लड़ी बल्कि समाज को महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर जागरूक किया।”

कार्यक्रम में महिलाओं के अधिकारों के लिए सक्रिय कार्यकर्ता सोनी, अनीता, आशा, बेबी, शिवकुमार, पूनम, सीमा, ममता, रामबचन, वल्लभ, अबू, मनीषा, धनंजय त्रिपाठी, विद्याधर मास्टर, सूबेदार, अनिल, निहाल आदि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन लोक समिति संयोजक नंदलाल मास्टर ने किया। अध्यक्षता पूनम ने की और धन्यवाद ज्ञापन सोनी ने दिया।

अंबेडकर पार्क पर दिए गए संदेश ने महिलाओं के अधिकारों के प्रति एक मजबूत और स्पष्ट आह्वान किया। यह मशाल जुलूस न केवल महिलाओं की सुरक्षा के प्रति समाज की जवाबदेही का प्रतीक था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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