नरेला अग्निकांड और मजदूरों के शोषण के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का श्रमायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन

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नई दिल्ली। नरेला समेत दिल्ली के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में लगातार हो रही दुर्घटनाओं और भीषण गर्मी में मजदूरों के हो रहे शोषण के विरोध में आज ‘आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू)’ समेत अन्य ट्रेड यूनियन संगठनों ने दिल्ली श्रमायुक्त कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। श्रम विभाग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी, जिसके मुताबिक दोपहर 12 से 4 के बीच में मजदूरों से काम नहीं लिया जाना चाहिए, का दिल्ली भर में कहीं पालन नहीं हो रहा है। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में काम करनेवाले मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर आज के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। गौरतलब है कि दिल्ली, आज देश भर में सर्वाधिक औद्योगिक दुर्घटनाओं वाला राज्य बन चुका है।

श्रम विभाग और फैक्ट्री मालिकों की सांठगांठ के कारण मारे जा रहे हैं मजदूर

दिल्ली के नरेला, बवाना, बादली, शाहदरा, मुंडका, कीर्ति नगर, मंगोलपुरी, वजीरपुर से लेकर अलीपुर तक मज़दूरों के जिंदा जल जाने की घटनाएं लगातार जारी हैं। सभी घटनाओं का कारण दिल्ली सरकार के श्रम विभाग एवं एमसीडी, स्थानीय पुलिस-प्रशासन व अन्य सरकारी एजेंसियों की आपराधिक मिलीभगत है। दिल्ली के फैक्ट्री मालिकों को मुनाफ़ा कमाने के लिए सरकार ने पूरी छूट दे रखी है। इतने मज़दूरों के मारे जाने के बावजूद भी दिल्ली और केंद्र सरकार मज़दूरों की सुध लेने को तैयार नहीं हैं।

सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राज्य सचिव सूर्य प्रकाश ने कहा कि कई धरने-प्रदर्शनों के बाद भी कार्यस्थल पर मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर सरकार बिल्कुल भी गम्भीर नहीं है। 2022 से 2024 तक देश की राजधानी में फैक्ट्री आगजनी की लगभग 88 घटनाएं सामने आई हैं। इन दुर्घटनाओं में पीड़ित मजदूरों को न्याय या उचित मुआवजे के लिए श्रम विभाग और कारखाना निरीक्षक द्वारा अभी तक एक भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

50 डिग्री तापमान में भी कर रहे हैं 14-16 घंटे काम

जहां मौसम विभाग बार-बार घर से न निकलने की चेतावनी दे रहा है, वहीं तमाम मजदूर 14 से 16 घंटे काम करने के लिए मजबूर हैं। कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत नरेला समेत दिल्ली के तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित कारखानों में मजदूरों के लिए ठंडे पानी, विश्राम कक्ष, वेंटिलेशन का इंतजाम करना अनिवार्य है। परंतु सरकार की नव-उदारवादी नीतियों के चलते किसी भी फैक्ट्री या कार्यस्थल में श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा।

दिल्ली के श्रम विभाग द्वारा दिनांक  27.04.2024 को एडवाइजरी जारी की गई थी जिसमे दोपहर 12 से 4 बजे के बीच मजदूरों से काम नहीं लिए जाने की बात कही गई थी। परंतु श्रम विभाग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी को कहीं भी लागू नहीं किया जा रहा है। दोपहर की कड़ी धूप के बीच दिल्ली भर में मालिक धड़ल्ले से मजदूरों से काम ले रहे हैं। आए दिन सिक्योरिटी गार्ड, निर्माण मजदूरों से लेकर सफाई कर्मियों की मौत की खबरें आ रही है। Swiggy-Zomato जैसी ऐप कंपनियां, डिलीवरी कर्मियों को काम से निकालने की धमकी देकर 12 से 4 के बीच में काम करने के लिए विवश कर रही हैं। इन विषम परिस्थितियों के अंदर काम करने के चलते दिल्ली के अनेकों मजदूर लगातार जान गवां रहे हैं।

मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे श्रम-कोड कानूनों के लागू होने पर स्थितियां और खतरनाक हो जाएंगी

मजदूरों के हित–अधिकार की सुरक्षा के लिए बने तमाम कानूनों को मोदी सरकार मालिकों की इच्छा अनुसार खत्म करके पूरे देश में ‘श्रम कोड कानून’ लागू करना चाहती है। तीसरी बार लगातार सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने फिर से श्रम कोड लागू करने की बात कही है। अगर केंद्र और राज्य सरकारें समय रहते मजदूरों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देती तो निश्चित तौर पर आनेवाले समय में ऐसी घटनाएं और बढ़ेंगी।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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