भोपाल। संयुक्त किसान मोर्चा 23 दिसम्बर को पूरे देश भर में प्रदर्शन करके केंद्र सरकार द्वारा किसानों पर किये जा रहे दमन, वादाखिलाफी और जिन बदनाम तीन कृषि कानूनों को साल भर की लड़ाई के बाद वापस कराया गया था उन्हें पिछले दरवाजे से लाने की कोशिशों के खिलाफ देश के किसानों के आक्रोश और विरोध को दर्ज कराएगा। मध्यपदेश में भी इस दिन कार्यवाहियां की जायेंगी।
संयुक्त किसान मोर्चा मध्यप्रदेश की आज हुई बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जनता के सुझावों के लिए प्रसारित “कृषि बाजार पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा” के मसौदे को आरएसएस- भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के भयानक इरादों को उजागर करने वाला बताया। यह किसानों के हितों की बलि चढ़ाने और कॉर्पोरेट मुनाफे को निरंतर बढ़ाने करने की साजिश है। छोटे उत्पादकों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उन्हें खेती से बाहर कर दिया जाएगा।
इस मसौदे में प्रस्ताव है कि बड़ी कंपनियां कृषि उपज मंडियों को दरकिनार करते हुए सीधे किसानों से उपज खरीद सकती हैं। इसके अतिरिक्त, भंडारण बुनियादी ढांचे को निजी निगमों को सौंपने से मूल्य अस्थिरता होने से किसानों के लिए मौजूद महत्वपूर्ण सुरक्षा ख़त्म हो जाएगी और किसानों को कीमतों पर मोल-भाव करने के लिए कोई विकल्प न देकर कॉर्पोरेट शोषण की शिकार बनाया जाएगा। 23 दिसम्बर को इस मसौदे की प्रतियां जलाई जायेंगी।
बैठक ने पंजाब हरियाणा सीमा पर जारी आन्दोलन तथा नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसान आन्दोलन पर जारी दमन की निंदा की और इसे रोकने की मांग की। संयुक्त किसान मोर्चे की नीति है कि वह जहां भी किसान संघर्ष करेगा उसके साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करेगा।
मध्यप्रदेश की इस बैठक ने किसानों को उपज के दाम न दिए जाने तथा खाद सहित आवश्यक इनपुट का समय पर बंदोबस्त न करने और भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानो को उजाड़ने के लिए मध्यपदेश सरकार की भी भर्त्सना की। बैठक ने आवारा पशुओं द्वारा की जा रही खेती की बर्बादी पर भी चिंता व्यक्त की।
23 दिसंबर की विरोध कार्यवाहियों में जो मांगें उठाई जायेंगी उनमें किसान संगठनों के साथ बातचीत करें और किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जान बचाने। दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर दमन बंद करने। नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सभी किसानों को लक्सर जेल से रिहा करने। राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति के मसौदे को वापस लेने। सभी किसान संगठनों के साथ तत्काल चर्चा कर 9 दिसंबर, 2021 के पत्र में सहमति के अनुसार सभी लंबित मुद्दों का समाधान करने। खाद का बंदोबस्त करने। फसल का स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर दाम देने और चुनाव के समय किये वायदे को पूरा करने।भूमि अधिग्रहण के नाम पर खेती की जमीन का परोक्ष अपरोक्ष रूप से कंपनियों के लिए लेना बंद करने। आवारा पशुओं के आतंक को रोकने के लिए कदम उठाने की मांगें शामिल हैं।
एआईकेएस (शाकिर सदन) के राज्य महासचिव प्रहलाद बैरागी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनीलम, अखिल भारतीय किसान सभा संयुक्त सचिव बादल सरोज, एआईकेएस (शाकिर सदन) के राज्य महासचिव प्रहलाद बैरागी, एनएपीएम के राजकुमार सिन्हा, मध्यप्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष अशोक तिवारी, महासचिव अखिलेश यादव, किसान संघर्ष समिति की आराधना भार्गव, एसकेएम इंदौर के अरुण चौहान, एसकेएम नरसिंहपुर के जगदीश पटेल, एसकेएम रीवा के रामजीत सिंह, सागर के संदीप ठाकुर शामिल थे। एआईकेकेएमएस के मनीष श्रीवास्तव, किसान जागृति संगठन के इरफान जाफरी, क्रांतिकारी किसान सभा के विजय कुमार इस बैठक के आयोजकों में थे। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) सहित सभी संगठन संयुक्त किसान मोर्चे के इस आव्हान को देने वालों में शरीक हैं।
(संयुक्त किसान मोर्चा मध्यप्रदेश की प्रेस विज्ञप्ति)
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