नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के ऊपर होने वाले अपराध में कमी नहीं आ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार लाख दावा करे लेकिन राज्य में कमजोर वर्गों की समस्या न तो सरकार सुन रही है और न ही प्रशासन।
उन्नाव में पुलिस पर असंवेदनशीलता और न्याय न करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को एक दलित व्यक्ति ने पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में आत्मदाह करने का प्रयास किया। जिसके बाद वह 60 प्रतिशत तक जल गया।
पुरवा कोतवाली क्षेत्र के भूलेमऊ गांव निवासी श्रीचंद्र ने दोपहर करीब दो बजे खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे कंबल ओढ़ाकर आग बुझाई और जिला अस्पताल पहुंचाया।
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरके गौतम के अनुसार, व्यक्ति 60 प्रतिशत से अधिक जल गया है और उसे बेहतर इलाज के लिए लखनऊ रेफर किया गया है।
पत्रकारों से बात करते हुए पीड़ित के भाई ने कहा कि गांव में उनकी पुश्तैनी जमीन पर कुछ मुस्लिम लोगों ने कब्जा कर लिया है। जब इसका विरोध किया गया तो उन्होंने जान से मारने की नियत से परिवार पर हमला कर दिया, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया।
पीड़ित के भाई ने आरोप लगाया कि पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ता के खिलाफ फर्जी मामला दर्ज किया।
उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने अधिकारियों से मुलाकात की और न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि इसके बाद उनके भाई ने पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में आत्महत्या करने की कोशिश की।
व्यक्ति के आत्मदाह के प्रयास के बाद पुलिस महानिरीक्षक तरूण गौबा ने घटनास्थल का दौरा किया और घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
गौबा ने कहा कि उन कारणों की गहराई से जांच की जा रही है जिनकी वजह से व्यक्ति ने खुद को आग लगाई। पुलिस अधिकारी ने कहा कि साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने जिला अस्पताल का दौरा कर उस व्यक्ति की स्थिति के बारे में जानकारी ली और उसके परिवार को न्याय का आश्वासन दिया।
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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