चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में छात्रों का आंदोलन कुलपति को हटाने, छात्रों पर हुई मारपीट की जांच और आरोपियों के खिलाफ न्यायसंगत कार्रवाई की मांग को लेकर 20वें दिन में प्रवेश कर चुका है। छात्रवृत्ति और प्रवेश नियमों में किए गए संशोधनों के खिलाफ छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार लगाई थी, लेकिन कुलपति बलदेव राज कम्बोज और अन्य अधिकारियों ने कोई संतोषजनक समाधान नहीं किया।
10 जून 2025 को छात्रों ने कुलपति से मिलने का प्रयास किया, लेकिन मुख्य सुरक्षा अधिकारी सुखबीर बिश्नोई के इशारे पर गार्ड्स ने उन्हें धक्का-मुक्की कर हटा दिया। रात करीब 10 बजे छात्र कुलपति निवास पर पहुंचे, जहां पहले से मौजूद सुरक्षा कर्मियों और पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठी-डंडों का प्रयोग किया। इस दौरान दो छात्रों के सिर फट गए और कई को गंभीर चोटें आईं। स्थानीय पुलिस निष्क्रिय रही। इसके बाद छात्र विश्वविद्यालय के गेट नंबर 4 के बाहर धरने पर बैठ गए।
छात्रवृत्ति और संशोधन का मुद्दा
आंदोलन का मुख्य मुद्दा छात्रवृत्ति और एलडीवी (लैंड डोनेटेड विलेज) कोटा में किए गए संशोधन हैं। पहले 70% और 75% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी स्नातक, एमएससी और पीएचडी छात्रों को छात्रवृत्ति मिलती थी। नए नियमों के तहत अब केवल 75% अंकों के आधार पर शीर्ष 25% छात्रों को ही यह लाभ मिलेगा, जिससे अधिकांश छात्र वंचित हो जाएंगे। इसके अलावा, एलडीवी कोटा को केवल एक बार और एक पाठ्यक्रम तक सीमित कर दिया गया है, जिससे स्नातक छात्रों को उच्च पाठ्यक्रमों में प्रवेश में कठिनाई होगी।
प्रशासन का रवैया और छात्रों पर दबाव
छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने मनमाने ढंग से संशोधन किए और कुलपति ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की। कुछ छात्रों ने बताया कि अनुशासन के नाम पर प्रशासन कुलपति के निर्देश पर उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास कर रहा है।
राजनीतिक समर्थन
हरियाणा के सभी विपक्षी दलों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने धरना स्थल पर पहुंचकर छात्रवृत्ति हटाने को अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह निधि मात्र डेढ़-दो करोड़ रुपये की है, जो विश्वविद्यालय के बजट पर कोई बोझ नहीं डालती।
पूर्व गृह मंत्री प्रो. संपत सिंह ने इसे भविष्य के कृषि वैज्ञानिकों को नष्ट करने का प्रयास करार दिया। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने छात्रों की मांगों को जायज ठहराया और केंद्रीय नेतृत्व व मुख्यमंत्री से बात करने का आश्वासन दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी फोन पर छात्रों से बात की। दीपेंद्र हुड्डा, सांसद जयप्रकाश और अन्य विधायकों ने धरने पर पहुंचकर समर्थन जताया।
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी ने युवाओं और किसानों की सबसे अधिक उपेक्षा की है। उन्होंने कुलपति की डिग्री की जांच की मांग की और मारपीट के दोषियों को तत्काल बर्खास्त करने की बात कही। इनेलो के आदित्य चौटाला और अर्जुन चौटाला ने भी छात्रों का साथ दिया।
जातीय रंग देने की कोशिश
आंदोलन को जातीय रंग देने की कोशिशें भी हो रही हैं। अधिकांश छात्र ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं, इसलिए इसे जाट आंदोलन के रूप में चित्रित करने के प्रयास हो रहे हैं। कुलपति बलदेव राज कम्बोज अन्य पिछड़ा वर्ग से, मुख्य सुरक्षा अधिकारी सुखबीर बिश्नोई और एक अन्य आरोपी प्रोफेसर बिश्नोई समाज से हैं। निदेशक छात्र कल्याण मदन लाल खीचड़ का अतीत भी विवादास्पद रहा है।
सरकार की भूमिका
प्रदेश सरकार ने शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के नेतृत्व में तीन मंत्रियों और एक विधायक की कमेटी बनाई, लेकिन बातचीत असफल रही। स्थानीय प्रशासन का रवैया भी अस्पष्ट है। सरकार के ठोस निर्णय न लेने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक अकुशल कुलपति और उनके सहयोगी छात्रों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। यह मुद्दा अमृतकाल में कृषि क्षेत्र और युवा वैज्ञानिकों के भविष्य को लेकर एक बड़ी चुनौती बन गया है।
(जगदीप सिंह सिंधु स्वतंत्र पत्रकार हैं)