हरिद्वार में हेट कान्क्लेव मामले में पहली गिरफ्तारी हुई है। आज शाम शिया वक्फ बोर्ड यूपी के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को हरिद्वार पुलिस ने उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश के नारसन सीमा से किया है। गिरफ्तारी के बाद वसीम रिजवी से शहर कोतवाली में घंटों तक पूछताछ की गई।
एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह, सीओ सिटी शेखर सुयाल ने बंद कमरे में वसीम रिजवी से कई घंटों तक पूछताछ की। इसके बाद वसीम रिजवी को मेडिकल के लिए भेज दिया गया। डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल ने मीडिया को बताया है कि वसीम रिजवी को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक़ वसीम रिजवी और स्वामी नरसिंहानंद गिरी एक ही वाहन में हरिद्वार से बाहर जा रहे थे, जब उनकी गिरफ्तारी की गई।
वसीम रिजवी ऊर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के साथ जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर एवं ग़ाज़ियाबाद के डासना स्थित देवी मंदिर के महंत स्वामी नरसिंहानंद गिरी भी उनके साथ मौजूद थे। भड़काऊ भाषण मुक़दमे में स्वामी नरसिंहानंद गिरी भी नामज़द हैं। लेकिन पुलिस ने सिर्फ़ वसीम रिजवी की गिरफ्तारी की है। डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल के मुताबिक कानूनी कारणों से स्वामी नरसिंहानंद गिरी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
गौरतलब है कि 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार के खड़खडी स्थित वेद निकेतन में हेट कान्क्लेव (धर्म संसद) का आयोजन किया गया था। दो दिन बाद 22 दिसंबर को सोशल मीडिया पर मुस्लिम धर्म के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण का वीडियो वायरल हुआ। जन समुदाय की व्यापक प्रतिक्रिया के बाद 22 दिसंबर को वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी के विरुद्ध कोतवाली हरिद्वार में धारा 153 ए आईपीसी के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया।
इसके बाद 26 दिंसबर को पुलिस ने मुक़दमे में संत धर्मदास और साध्वी अन्नपूर्णा के ख़िलाफ़ भी केस दर्ज़ किया। फिर 1 जनवरी को पहले से दर्ज़ मुकदमे में यति नरसिंहानंद और सागर सिंधु महाराज के नाम बढ़ाए गए। बढ़ते दबाव के बीच 2 जनवरी 2022 को शहर कोतवाली में वसीम नारायण रिजवी के ख़िलाफ़ दूसरा मुक़दमा दर्ज़ हुआ। जिसमें नौ अन्य लोगों के नाम भी तहरीर में लिखे हुए थे। 2 जनवरी को डीजीपी अशोक कुमार ने एसआईटी का गठन किया। 5 जनवरी को संतों ने प्रतिकार सभा करने की घोषणा की।
8 जनवरी कांग्रेस नेता नेता कपिल सिब्बल मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच। 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई को मंजूरी देते हुए 12 जनवरी को उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
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