पश्चिम बंगाल के 26 हजार शिक्षकों और गैर शिक्षकों की बर्खास्तगी के मामले में सरकार बेनकाब हो गई है। अब सरकार के शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि 21 अप्रैल को योग्य और अयोग्य लोगों की सूची का प्रकाशन कर दिया जाएगा। यानी अयोग्य लोग कौन है यह सरकार की जानकारी में है। इस कबूलनामें से सरकार भरे बाजार में बेनकाब हो गई है। हैरान ना हो अभी बर्खास्तगी की कतार भी 32 हजार और है।
आगे बढ़ने से पहले इस योग्य और अयोग्य के फंडा को समझते हैं। यह अपने आप में गजब है कि नियुक्ति होने के चार साल बाद योग्य और अयोग्य की सूची बनाए जा रही है। दरअसल 2016 में स्कूल सर्विस कमिशन ने शिक्षकों और गैर शिक्षकों के पद पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी किया था। इसके लिए हुई परीक्षा में 22 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था।
बहरहाल इन पदों पर 26 हजार लोगों की नियुक्ति कर दी गई। इस नियुक्ति में घोटाले का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में रिट तैयार की गई। तत्कालीन जस्टिस अभिजीत गांगुली ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि गई है जिन्हें परीक्षा में शून्य मिला था उसे ओएमआर शीट में उसे 50, 60, 70 कर दिया गया था। जस्टिस गांगुली ने नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करते हुए 26 हजार लोगों को बर्खास्त किए जाने का आदेश दिया था।
इसके खिलाफ हाई कोर्ट के एक डिवीजन बेंच में अपील की गई। डिवीजन बेंच स्कूल सर्विस कमीशन से बार-बार सवाल करता रहा कि जिन लोगों को गलत तरीके से नियुक्ति दी गई है उनकी सूची दी जाए। कमीशन में हाथ खड़ा कर लिया तो डिवीजन बेंच ने भी नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द करते हुए 26 हजार की बर्खास्तगी का आदेश दे दिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। चीफ जस्टिस का बेंच भी बार-बार अयोग्य लोगों की सूची मांगता रहा पर स्कूल सर्विस कमीशन नहीं दे पाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी 26 हजार को बर्खास्त किए जाने का आदेश दे दिया।
अब शिक्षा मंत्री कह रहे हैं 21 अप्रैल को अयोग्य लोगों की सूची जारी कर दी है जाएगी यह सवाल उठता है कि अब तक क्यों नहीं किया था तो सरकार किन लोगों को बचा रही थी यह गौरतलब है कि पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थिव चटर्जी सहित कमिश्नर और बोर्ड के अफसर इंद्र जेल में सीबीआई जांच में खुलासा हुआ है कि पैसे लेकर अयोग्य लोगों की नियुक्ति दी गई जाहिर है कि इन लोगों ने सीधे पार्थिव चटर्जी को पैसा नहीं दिया था एक नेटवर्क कम कर रहा है।
इस नेटवर्क से तृणमूल के लोग भी जुड़े हुए हैं अब अयोग्य लोगों की सूची सामने आ जाएगी सीबीआई उनसे पूछताछ करेगी कि पैसे किस दिए थे क्योंकि रिश्वत लेना अगर अपराध है तो देना भी अपराध है जांच में पूरे नेटवर्क का खुलासा हो जाए सरकार इसी नेटवर्क को बचाने के लिए सूची जारी नहीं कर रही थी अब पानी तक गले पानी गले तक आ गया तो सूची जारी करना मजबूरी बन गई है।
अब यहां बात 26 हजार तक ही सीमित नहीं है। प्राइमरी के 32 हजार टीचरों की नियुक्ति भी घोटाले के कारण ही रद्द कर दी गई है। अब हाई कोर्ट के डिवीजन बीच में सरकार की अपील पर सुनवाई होनी है। इसमें आरोप है कि एप्टीट्यूड टेस्ट और पर्सनैलिटी टेस्ट लिए बगैर ही पसंदीदा लोगों को 10 में से 8 ,9 नंबर दे दिए गए थे। हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली में इस नियुक्ति प्रक्रिया को ही खारिज कर दिया था। अब डिवीजन बेंच में मामला है और शीघ्र इसकी सुनवाई भी होनी है। अब ये 32 हजार भी चले गए तो सरकार की कमर ही तो टूट जाएगी।
(जेके सिंह की रिपोर्ट)
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