केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर भरोसा दिलाया है कि साल के अंत तक 18 साल से ऊपर की 94 करोड़ की आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराक यानी 188 करोड़ डोज दे देगा। जुलाई के अंत तक 51.6 करोड़ डोज उपलब्ध करा देने का भरोसा भी केंद्र सरकार ने दिलाया है। सवाल यह है कि क्या यह संभव है? सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब 162 दिन में महज 31.5 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज दी जा सकी है तो क्या 188 दिन में 156.5 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज देना संभव होगा?
162 दिन में 31.5 करोड़ को लग सकी है वैक्सीन
भारत में 26 जून तक 31.5 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी गयी है और इसमें 162 दिन लगे हैं। औसतन 19.44 लाख वैक्सीन हर दिन दिए गये हैं। बाकी बचे 188 दिनों में 188-31.5= 156.5 करोड़ वैक्सीन के डोज दिया जाना क्या संभव है? हर दिन 83.24 लाख लोगों को वैक्सीन देने की यह रफ्तार है। यह रफ्तार 21 जून को रिकॉर्ड वैक्सीन दिए जाने वाले दिन को छोड़कर कभी दिखाई पड़ी नहीं।
सरकार के हलफनामे के हिसाब से जून में बचे हुए 4 दिन और जुलाई के 31 दिन मिलाकर 35 दिनों में 20.1 करोड़ वैक्सीन दी जानी है। मतलब 31 जुलाई तक का लक्ष्य पूरा हो सकता है अगर औसतन हर दिन 57.42 लाख वैक्सीन दिया जाए। वैसी स्थिति में अगस्त से दिसंबर के बीच तब 188-51.6=136.4 करोड़ लोगों को वैक्सिनेट करने का लक्ष्य बचेगा। मतलब ये कि 89.15 लाख वैक्सीन प्रति दिन के हिसाब से लोगों को वैक्सीन देने की आवश्यकता रहेगी।
21 जून के बाद बढ़ी रफ्तार, औसत आंकड़ा 38 लाख पार
अगर जून महीने की बात करें तो 26 दिनों में 9 करोड़ 89 लाख 9 हजार 288 लोगों को वैक्सीन दिए गये हैं। इस तरह जून में 38.07 लाख टीके औसतन हर दिन दिए गये हैं। यह बाकी बचे दिनों में लक्ष्य हासिल करने के लिए आवश्यक रफ्तार का 45.7 फीसदी मात्र है। अगस्त से आगे आवश्यक रफ्तार और भी अधिक है। लिहाजा केंद्र सरकार के लिए अपने हलफनामे के अनुसार 188 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगा पाना एक मुश्किल लक्ष्य लगता है।
ऐसा नहीं है कि उम्मीद नहीं है। वैक्सीन देने की रफ्तार बढ़ी है और उतार-चढ़ाव के बावजूद लगातार बढ़ रही है। 21 जून को 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए मुफ्त टीका अभियान शुरू करने के बाद से 6 दिन में 3.5 करोड़ लोगों को वैक्सीन दिए गये हैं। यह औसत 58 लाख 34 हजार 838 है। अगर यह रफ्तार बनी रहती है तो निश्चित रूप से केंद्र सरकार जुलाई महीने के अंत तक 51.6 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य हासिल कर लेगी।
मुमकिन है 153 दिनों में 136.4 करोड़ डोज?
असल चुनौती अगस्त के बाद शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट में दिए गये हलफनामे के अनुसार अगस्त से दिसंबर के बीच 153 दिनों में 136.4 करोड़ लोगों को वैक्सीन के डोज दिए जाने हैं। इसका मतलब यह है कि 89.15 लाख टीके हर रोज लगने चाहिए। 21 जून को एक दिन वैक्सीन देने का रिकॉर्ड बनाने का दावा किया गया था। उस दिन 87 लाख 29 हजार 303 लोगों को वैक्सीन दी गयी थी। यह रिकॉर्ड भी निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के हिसाब से नाकाफी है। जाहिर है कि लक्ष्य पूरा करने के लिए 21 जून का रिकॉर्ड अगस्त के बाद हर दिन तोड़ना होगा।
पांच महीने में 136 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीके दे पाना मुश्किल जरूर लगता है लेकिन इस लक्ष्य का पूरा होना इस बात पर निर्भर करता है कि देश के पास सही मायने में टीके उपलब्ध हो पाते हैं या नहीं। अगर टीके उपलब्ध रहेंगे तो वैक्सीन देने की गति को ब़ढ़ाया जा सकता है।
21 जून के बाद घटती-बढ़ती रही है वैक्सीन की डोज
तारीख वैक्सीन
21 जून 87,29,303
22 जून 58,73,310
23 जून 64,89,499
24 जून 63,22,716
25 जून 70,97,182
26 जून 61,19,169
वैक्सीन उपलब्ध हो तो मुमकिन है हर लक्ष्य
वैक्सीन देने की गति में उतार-चढ़ाव की मूल वजह वैक्सीन का उपलब्ध होना नहीं है। अगर उपलब्धता सुनिश्चित रहेगी तो वैक्सीन देने की रफ्तार भी सकारात्मक रहेगी। वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर केंद्र सरकार के हलफनामे में बताया गया है कि 135 करोड़ वैक्सीन में से 50 करोड़ कोविशील्ड, 40 करोड़ कोवैक्सीन, 30 करोड़ बायो ई की सब यूनिट वैक्सीन, 5 करोड़ जाइड्स कैडिला डीएनए वैक्सीन और 10 करोड़ स्पुतनिक वी की वैक्सीन अगस्त से दिसंबर के अंत तक उपलब्ध कराए जाएंगे। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख ने मई महीने में कहा था कि अगस्त और दिसंबर के बीच 216 करोड़ वैक्सीन की खुराक उपलब्ध करायी जाएगी। हालांकि यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि सरकार के हलफनामे में नोवा वैक्स 20 करोड़, भारत बायोटेक की नैसल वैक्सीन 10 करोड़ और जीनोवा की एमआरएनए वैक्सीन 6 करोड़ का जिक्र नहीं है।
चमत्कार की उम्मीद
केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर दिसंबर के अंत तक सबको वैक्सीन देने का वादा कर रही है तो निश्चित रूप से इसमें गंभीरता है। वैक्सीन नीति में बदलाव के बाद खरीद प्रक्रिया में तेजी आयी है। विदेश से वैक्सीन पाने के मार्ग खुले हैं। कई विदेशी कंपनियां भारत आने की कतार में हैं। इसलिए वैक्सीन की उपलब्धता की उम्मीद बढ़ी है। इन सबके बीच वैक्सीन की रफ्तार भी निरंतर सुधार की ओर है। फिर भी लक्ष्य बड़ा है और वैक्सीन की रफ्तार पकड़ने की गति धीमी। ऐसे में दिसंबर के अंत तक सबको वैक्सीन दे पाना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। अगर, ऐसा हुआ तो यह मोदी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
(प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल आपको विभिन्न चैनलों के पैनल में बहस करते हुए देखा जा सकता है।)
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