पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर सरकारी दमन चक्र चरम पर है आज व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर आनंद राय को फेसबुक पर पेपर का तथाकथित स्क्रीन शॉट डालने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। कल दिन भर सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के सीधी जिले के थाने में बंद पत्रकारों की बदन पर मात्र अंडर वियर पहनी हुई अर्द्ध नग्न तस्वीरें वायरल होती रहीं। कुछ दिन पहले बलिया में पेपर लीक होने के मामले में कई पत्रकारों को प्रशासन ने जेल भेज दिया। इस पर कई जगह विरोध प्रदर्शन हुआ।
सीधी जिले वाली घटना में तो थाने में कपड़े उतरवाए और उसका फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया ताकि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल किया जा सके।
बलिया में अमर उजाला के पत्रकार अजित ओझा को थाने पर तीन घंटे तक इसलिए बैठाकर रोका गया कि उन्होंने पेपर लीक होने वाली खबर छाप दी। अजित ने बताया कि हाईस्कूल का भी पेपर लीक हुआ, प्रशासन को बताया भी लेकिन उसी लीक पेपर पर परीक्षा ले ली गई। बाद मे बलिया में पेपर लीक होने के मामले में कई पत्रकारों को प्रशासन ने जेल भेज दिया।

बलिया में हुई घटना की ही तरह व्हिसल ब्लोअर और आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय को आज सुबह प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड की शिक्षक पात्रता परीक्षा का पर्चा सोशल मीडिया पर वायरल करने पर गिरफ्तार कर लिया गया। परीक्षा के पेपर का जो स्क्रीन शॉट सोशल मीडिया पर वायरल था उसमें नाम लक्ष्मण सिंह दिख रहा था। डॉ. राय ने इसी स्क्रीन शॉट को लेकर सोशल मीडिया में एक पोस्ट कर पूछा था- लक्ष्मण सिंह आखिर कौन है? मात्र इतने पर उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
यानि पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए और कोई सामाजिक कार्यकर्ता या पत्रकार यह सूचना पब्लिक में दे तो उल्टा उसी पर ही मुकदमा दर्ज कर लो, यह तो वही बात हुई कि जो व्हिसल ब्लोअर बने उसे ही अपराधी मान लिया जाए। दरअसल व्हिसल ब्लोइंग किसी पुरुष या महिला का ऐसा कार्य है, जो सार्वजनिक हित में विश्वास रखता है। यदि वह देखता है कि किसी संगठन या संस्थान में कोई भ्रष्ट, अवैध, धोखाधड़ी या हानिकारक गतिविधि चल रही हो, तो वह व्हिसल ब्लोअर सार्वजनिक हित को संगठन के हित से ऊपर रखते हुए उस गतिविधि को समाज के सामने लाने का प्रयास करता है। लेकिन तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाने वाली सरकार ऐसे कृत्य को पसंद नहीं करती और भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करने के बजाए सूचना देने वाले ऐसे व्हिसल ब्लोअर/मैसेंजर को ही दोषी मानकर उसके विरुद्ध कार्यवाही करती है।
यह रवैया लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रहा है।
(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और आजकल इंदौर में रहते हैं।)
+ There are no comments
Add yours