नई दिल्ली। हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के समर्थन में सोमवार को किसानों ने पंजाब बंद रखा। 9 घंटे तक किसानों का बंद रहा। सुबह 7 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक किसान 140 जगहों पर हाईवे और रेलवे ट्रैक पर बैठे। इस दौरान अमृतसर-जालंधर-पानीपत-दिल्ली और अमृतसर-जम्मू मार्ग पर यातायात प्रभावित रहा।
बंद के दौरान बस स्टैंड पर भी सन्नाटा पसरा रहा। कुछ यात्री बस स्टैंड पर आए लेकिन, जब उन्हें पता चला कि बसें नहीं चल रही हैं, तो वे वापस लौट गए।
बंद को देखते हुए मोहाली एयरपोर्ट और प्रमुख हाईवे बंद कर दिया गया था। फिरोजपुर रेल मंडल में 163 ट्रेनें रद्द और 19 शॉर्ट टर्मिनेट की गई थी। उधर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 35वें दिन भी जारी है। पंजाब सरकार मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करेगी।
पंजाब में बंद का खासा असर रहा। बाजार बंद रहे। साथ ही रेलवे ट्रैक पर जगह-जगह किसान बैठे थे, जिसकी वजह से रेल सेवाएं भी बंद रहीं। किसानों ने केवल इमरजेंसी सेवाओं के संचालन को जारी रखने को कहा था।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने अमृतसर में बताया कि आपातकालीन और अन्य आवश्यक सेवाओं के संचालन को जारी रखने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट जा रहे लोगों, नौकरी के लिए इंटरव्यू देने या फिर शादी समारोह में शामिल होने जा रहे लोगों को बंद के आह्वान के बीच छूट दी गई।
गौरतलब है कि किसान एमएसपी के अलावा, किसान कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
जगजीत सिंह डल्लेवाल पर नहीं बनी बात
अनशनरत किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा खत्म होने में दो दिन बाकी हैं, लेकिन इस मसले पर पंजाब सरकार ज्यादा प्रगति नहीं कर सकी है।
सूचना के मुताबिक शनिवार शाम से दो बार, आम आदमी पार्टी सरकार ने डल्लेवाल से मिलने और प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत का एक चैनल खोलने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल को हरियाणा सीमा पर खनौरी भेजा है, लेकिन किसान नेता को अपना अनशन तोड़ने के लिए मनाने में विफल रही।
एक अन्य टीम भी डल्लेवाल और अन्य प्रदर्शनकारियों से बात कर रही थी। लेकिन अभी तक कोई समाधान और सहमति का रास्ता नहीं बन सका है।
सुप्रीम कोर्ट, जो इस मुद्दे पर कल यानी 31 दिसंबर को सुनवाई करेगा, कोर्ट ने शनिवार को पंजाब सरकार की कड़ी खिंचाई करते हुए कहा कि ऐसी “धारणा” है कि वह डल्लेवाल की जान बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है।
जब राज्य ने तर्क दिया कि प्रदर्शनकारियों ने डल्लेवाल को स्थानांतरित करने के किसी भी कदम को विफल करने के लिए युवाओं को घटनास्थल पर इकट्ठा होने के लिए बुलाया था, तो अदालत ने पूछा कि स्थिति को इस स्तर तक पहुंचने की अनुमति क्यों दी गई।
पीठ ने कहा कि “यह आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला है। आप पहले समस्या पैदा करते हैं और फिर दलील देते हैं, अब समस्या है, हम कुछ नहीं कर सकते।”
यदि राज्य सरकार डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता के लिए सहमत करने में विफल रहती है, तो उसे उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए बल प्रयोग करना पड़ सकता है या अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ सकता है।
खनौरी की स्थिति को देखते हुए, भगवंत मान सरकार इस परिदृश्य से बचना चाहेगी, विशेष रूप से डल्लेवाल द्वारा अनशन की शुरुआत में इसी तरह के प्रयास का उस पर उल्टा असर पड़ा था।
“फिलहाल, डल्लेवाल अड़े हुए हैं, वह अपना आमरण अनशन तब तक नहीं तोड़ना चाहते जब तक केंद्र सरकार किसानों की मांगों पर सहमत नहीं हो जाता, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी और किसानों के कर्ज की माफी शामिल है।”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के लिए सरकार को बल प्रयोग करना पड़ सकता है। लेकिन इस आशंका को देखते हुए अनशन स्थल पर युवाओं की भारी संख्या पहुंच रही है। राज्य के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए किसान नेता ओम को समझा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है।
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसान परिणामों के लिए तैयार हैं। मीडिया से बात करते उन्होंने कहा: “डल्लेवाल साहब पहले ही कह चुके हैं कि वह पीछे नहीं हटेंगे। अब यह केंद्र और पंजाब सरकार पर निर्भर करता है कि वे अपने हाथों पर किसानों का खून चाहते हैं या नहीं।
मैंने पहले ही पटियाला के पास के गांवों के युवाओं से रविवार रात तक खनौरी सीमा पर पहुंचने की अपील की है ताकि अगर पुलिस रात के अंधेरे में डल्लेवाल को पकड़ने के लिए ऑपरेशन की योजना बना रही है तो वे सफल न हों।”
ऐसे में राज्य सरकार मुश्किल में फंस गई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना जरूरी है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यदि समय सीमा पूरी नहीं होती है, तो तकनीकी रूप से, सुप्रीम कोर्ट उन्हें (अधिकारियों को) समन कर सकता है, अवमानना का दोषी ठहरा सकता है। यह अवमानना का सबसे गंभीर रूप होगा।”
किसान नेता पंढेर ने कहा कि “यह किसानों की चिंता नहीं है। अदालत की अवमानना केवल किसानों और मजदूरों पर ही क्यों लागू होती है?”
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल सोमवार को 35वें दिन में प्रवेश कर गई। डल्लेवाल ने अब तक चिकित्सा उपचार से इनकार कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आने वाले दिनों में पंजाब सरकार क्या कदम उठायेगी जो सुप्रीम कोर्ट के साथ किसान संगठनों के लिए भी खुशगवार साबित होगा।
(जनचौक की रिपोर्ट)
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