बढ़ेगा या खतरा टल गया है? 

ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा भारत ने 6-7 मई की रात जो हमले किए, वे नपे-तुले, सटीक और आगे लड़ाई ना भड़काने वाले थे। इसका संकेत साफ है। अगर पाकिस्तान की ओर से आगे कोई सैन्य कार्रवाई नहीं हुई, तो भारत अपनी ओर से आगे और हमले नहीं करेगा। प्रेस ब्रीफिंग में बताया गया कि पाकिस्तान में नौ स्थलों पर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। ये स्थल पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर और वहां पंजाब प्रांत में हैं। उन हमलों में लगभग 70 आतंकवादियों के मारे जाने की बात कही गई है। 

चूंकि प्रेस ब्रीफिंग में पत्रकारों के सवाल नहीं लिए गए, इसलिए पाकिस्तान ने जो दावे किए हैं, उनके बारे में भारत का पक्ष जाहिर नहीं हो सका। पाकिस्तान के दावों में शामिल हैः

  • भारतीय कार्रवाई के जवाब में उसने भारत के पांच लड़ाकू विमानों को मार गिराया। भारतीय सूत्रों ने इस दावे को फेक न्यूज बताया है। यह भी कहा गया है कि इसके समर्थन में जो वीडियो जारी किए गए हैं, वे बहुत पुराने हैं। 
  • मगर टीवी चैनल- इंडिया टुडे के एक लाइव कवरेज के दौरान चैनल के कश्मीर स्थित प्रतिनिधि ने तीन अनजान विमानों के 6-7 मई की रात दुर्घटनाग्रस्त होने की बात कही। अमेरिकी न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि उसके संवाददाता ने जब श्रीनगर के करीब एक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने स्थल का दौरा किया, तो वहां उसने क्या देखा। 

(https://apnews.com/live/india-pakistan-attack-pahalgam-kashmir#00000196-a98a-d9a2-a5ff-f9ff6a7e0000)

  • पंजाब में बठिंडा स्थित भारतीय वायु सेना के अड्डे के करीब भी एक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर आई। 

(https://indianexpress.com/article/cities/chandigarh/civilian-dead-injured-unidentified-aircraft-crashes-village-bathinda-air-force-base-9987564/)

  • पाकिस्तान का यह भी दावा है कि नियंत्रण रेखा के करीब मौजूद भारतीय सेना की कुछ चौकियों पर उसने हमले किए हैं। 
  • भारतीय मीडिया में ये रिपोर्टिंग व्यापक रूप से हुई है कि भारतीय कार्रवाई के बाद से जम्मू इलाके में पाकिस्तानी सेना ने भारी गोलाबारी की है। इनमें लगभग दस नागरिकों की मौत होने की चर्चा है। एक गुरुद्वारे पर हमले में तीन सिखों के मरने की बात खुद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अकाली ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर बताई है। 

ये तथ्य क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?

इसलिए कि इनका संबंध इन अटकलों से है कि अब पाकिस्तान क्या कार्रवाई करेगा?

बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से बताया गया कि पाकिस्तानी सेना को भारतीय कार्रवाई का जवाब देने के लिए पूरी आजादी दी गई है। तो क्या पाकिस्तानी सेना आगे कोई कार्रवाई करेगी।

पाकिस्तान के विश्लेषकों की प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है इसकी संभावना कम है। इसलिए कि उनकी निगाह में पाकिस्तान ने भारतीय कार्रवाई का “ठोस जवाब” दे दिया है। (https://www.youtube.com/watch?v=toUU6NXl9mE)। यानी अब पाकिस्तान कोई हमला तभी करेगा, जब भारत आगे और कार्रवाई करता है। 

कुछ भारतीय विश्लेषकों की भी राय है कि 6-7 मई की रात हुई कार्रवाई के बाद स्थिति और भड़कने की आशंका कम है। भारत ने अपनी सीमा में रहते हुए पाकिस्तान के अंदर जान-माल और आतंकवादी ढांचे का हिस्सा बताए जाने वाले स्थलों को नष्ट कर पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला ले लिया है। इस कार्रवाई के जरिए पाकिस्तान को पैगाम भेज दिया गया है कि आतंकवादियों के जरिए भारत का खून बहाने की रणनीति की महंगी कीमत उसे चुकानी पड़ेगी। 

उधर पाकिस्तान सरकार अपने जनमत को यह बताने में संभवतः कामयाब है कि भारत ने सरहद पार कर कार्रवाई की, तो उसका कड़ा जवाब पाकिस्तानी सेना ने दे दिया है।

तो संभव है कि 22 अप्रैल के बाद से मंडरा रहा युद्ध के बादलों के छंटने की शुरुआत हो गई हो। मगर मुद्दा यह है कि क्या ताजा भारतीय कार्रवाई से आतंकवाद का ढांचा ध्वस्त करने का लक्ष्य हासिल हो गया है? और क्या इससे पाकिस्तान को यह सबक मिल गया है कि अपने यहां आतंकवादी संगठनों को सक्रिय रहने देना उसके लिए अब खतरा मोल लेना हो गया है?

2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट ऑपरेशन के जरिए भी पाकिस्तान को सख्त पैगाम भेजा गया था। मगर उसके बाद भी दहशतगर्दी जारी रही। ऐहतियात के लिहाज से यह सवाल उठाना जरूरी है कि आगे और आतंकवादी हमले हुए, तो उसके बाद भारत की क्या रणनीति होगी?

आखिर मकसद आतंकवाद को खत्म करना है। सैन्य कार्रवाई एक अत्यंत गंभीर कदम है, जिसका इस्तेमाल अवश्य ही तय लक्ष्य के साथ ही होना चाहिए। उसका कोई अन्य राजनीतिक मकसद या जनमत को संतुष्ट करने जैसा लक्ष्य नहीं हो सकता। आशा है, भारत सरकार और देश का पूरा राजनीतिक नेतृत्व भी उपरोक्त गंभीर प्रश्न का उत्तर ढूंढने की जरूरत महसूस कर रहा होगा।  

(सत्येंद्र रंजन वरिष्ठ पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।)

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