जब पक्ष-विपक्ष दोनों के पास आम मतदाता को अपने पक्ष में राजी करने के लिए कुछ समझ न आ रहा हो, तो ऐसा होना स्वाभाविक है। अभी दो दिन पहले महेशटला की घटना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। विवाद की वजह बेहद मामूली है, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा और किसी तरह सत्ता पर बने रहने की भूख ने पश्चिम बंगाल की शांति और बौद्धिकता को जैसे नष्ट-भ्रष्ट कर दिया है।
यह मामला कोलकता से सटे 24 साउथ परगना जिले के महेशटला का है, जिसमें बताया जा रहा है कि शिव मंदिर के सामने एक दुकान निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों के बीच में विवाद उत्पन्न हो गया था। हिंदू पक्ष के लोगों ने इसके विरोधस्वरूप दुकान के सामने तुलसी मंच स्थापित कर दिया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि जब भीड़ ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया, वाहनों को आग लगा दी और रवींद्रनगर पुलिस स्टेशन के बाहर खड़े पुलिस अधिकारियों के साथ झड़प की, तो अराजकता फैल गई। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “छतों से ईंटें फेंकी गईं, सड़कों पर टायरों में आग लगा दी गई और उपद्रवियों ने पुलिस स्टेशन के सामने एक मोटरसाइकिल को आग लगा दी। कई पुलिस वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और कम से कम एक पुलिस कर्मी ईंट लगने से घायल हो गया।”
हिंसा पर काबू पाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया, तथा कोलकाता से अतिरिक्त पुलिस बल और रैपिड एक्शन फ़ोर्स भी बुलाई गई। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए अगले दिन कोलकाता स्थित अलीपुर राज्य पुलिस मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर हिंसा का दौर चलाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती की मांग कर डाली।
सुवेंदु अधिकारी ने अपने बयान में कहा, “रवींद्रनगर में हिंदू समुदाय को घंटों तक लूटपाट, आगजनी और हिंसा का सामना करना पड़ा, जबकि पुलिस चुपचाप देखती रही। कई पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, इसके बावजूद कोई प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया गया। डीजीपी राजीव कुमार ने उनसे मुलाकात करने से इनकार कर दिया। मैं कल कलकत्ता उच्च न्यायालय में तत्काल हस्तक्षेप और केंद्रीय बलों की मांग करूंगा, जैसा कि मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक तनाव के दौरान पहले आदेश दिया गया था।”
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा है: “पश्चिम बंगाल एक बार फिर सांप्रदायिक आग में जल रहा है और हिंदू निशाने पर हैं। यहां शासन नहीं चल रहा है। यह वोट बैंक की राजनीति के लिए भीड़तंत्र के सामने पूरी तरह से आत्मसमर्पण है। पश्चिम बंगाल की गृह मंत्री ममता बनर्जी चुप हैं।” अमित मालवीय ने इस पोस्ट के साथ एक वीडियो भी जारी किया है।
कहने का अर्थ है, बीजेपी-संघ के कार्यकर्ता स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक एकताबद्ध सुनियोजित तरीके से कैसे काम करते हैं, इसे विपक्ष को भी सीखना चाहिए। यह मामला शिव मंदिर के सामने किसी दूसरे समुदाय के द्वारा दुकान खोलने को लेकर था। सड़क के दूसरी तरफ की जगह मंदिर की है या नहीं, इसके लिए शासकीय पक्ष के सामने आपत्ति दर्ज की जा सकती है, या दोनों समुदाय के वरिष्ठ लोग शांतिपूर्वक मामले का हल निकाल सकते थे।
लेकिन यह पश्चिम बंगाल है, यहां बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक का टकराव ही बीजेपी-तृणमूल कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकता है। पिछले पांच वर्षों के दौरान, राज्य में इसी को आधार बनाकर तू-तू-मैं-मैं चल रही है और ममता बनर्जी आखिरी समय में हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता से लड़ने के नाम पर सीपीआई(एम) और कांग्रेस के मतदाता आधार को अपने पक्ष में लाने में कामयाब रही हैं। दूसरी तरफ, बीजेपी जोर-शोर से अवैध बांग्लादेशी, रोहिंग्या की रट लगाते हुए हिंदू समुदाय को जल्द ही पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक स्थिति में आ जाने का भय दिखाकर चैन से जीने नहीं दे रही।
इस घटना पर बंगाल पुलिस सख्ती से नजर बनाये हुए है और उसने इलाके में फ्लैग मार्च भी निकाला था। द स्टेट्समैन और टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर में एक चौंकाने वाला खुलासा देखने को मिल रहा है। इन दोनों समाचार पत्रों के मुताबिक, पुलिस ने कल रात बम बनाने की सामग्री ले जा रहे भाजपा-आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता नवीन चंद्र रॉय को चार अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया।
पुलिस के अनुसार उन्होंने तीन मोटरसाइकिलों को रोका और उन पर सवार युवकों को पकड़ा। युवकों के पास बैग थे। पुलिस ने उन्हें जब्त कर लिया और उनमें भारी मात्रा में बम बनाने की सामग्री जैसे कि पोटेशियम और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद हुई है। युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एक बंगाली न्यूज़चैनल एबीपी बांग्ला की टिप्पणी कुछ इस प्रकार से है, “महेशतला की घटना राज्य की राजनीति का एक गर्म मुद्दा बन गया है। पुलिस ने भारी मात्रा में बम बनाने की सामग्री बरामद की है। इस घटना में नवीनचंद्र रॉय नामक एक युवक को गिरफ्तार किया गया है, जो आरएसएस और भाजपा का कार्यकर्ता बताया जा रहा है। गिरफ्तार नवीनचंद्र रवींद्रनगर का निवासी बताया जा रहा है। पुलिस का आरोप है कि महेशतला की घटना का बदला लेने के लिए बम बनाने की सामग्री जमा की गई थी। इस घटना में कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पत्र में आगे कहा गया है, “कल, उपनगर महेशतला में दो समूहों के बीच झड़प के कारण माहौल गरमा गया था। डायमंड हार्बर पुलिस ने गुरुवार को इस घटना के संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वहां बताया गया कि कल बजबज पुलिस स्टेशन में मामला 168/25 दर्ज किया गया था। एक गोपनीय स्रोत से सूचना मिलने पर, हमारे बजबज थाने ने कल रात करीब 9:45 बजे भारी मात्रा में बम बनाने की सामग्री बरामद की। उन्हें तीन मोटरसाइकिलों पर लोड किया जा रहा था। उन्हें जब्त कर लिया गया है। भारी मात्रा में सोडियम पाउडर, 10 किलो से अधिक एल्युमिनियम पाउडर, फॉस्फोरस धूल, लाल सल्फर और लोहे की धूल बरामद की गई। बताया गया है कि इनका इस्तेमाल बम बनाने में किया जाता है। इतने मसालों से कितने बम बनाए जा सकते थे, इसका हिसाब लगाया जा रहा है।”
हालांकि, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है, “मैं पुलिस से कहना चाहता हूं कि अगर राजनीति करनी है तो वर्दी उतार दें। तृणमूल नेताओं की तरह हाथ में हवाई टोपी लेकर राजनीति करें। अगर सत्ता है तो पुलिस की वर्दी पहनकर नहीं बल्कि सड़कों पर राजनीति करें। क्या आरएसएस वालों ने तुलसी का पेड़ उखाड़ा? क्या आरएसएस ने तुलसी मंच खड़ा किया? क्या पुलिस ने खड़ा किया। अगर आरएसएस ऐसा सोचता है तो मैं कहूंगा कि पुलिस के खिलाफ मानहानि का केस करें। राहुल गांधी को भी कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी। पुलिस को भी माफी मांगनी पड़ेगी।”
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मितुन डे ने भी आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यावहारिक रूप से विफलता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि महेशतला में कल जो अशांति हुई वह हिंदू-मुस्लिम कट्टरपंथियों की ज्यादतियों और पुलिस की विफलता के चलते हुई। उन्होंने कहा, “हालात पर नियंत्रण किया जा चुका है। इतनी सारी घटनाएं हुई हैं, गिरफ्तारियां हुई हैं। निचले स्तर की पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हिंदू कट्टरपंथियों और मुस्लिम कट्टरपंथियों की अधिकता है। इन सभी चीजों का यह नतीजा है।” उन्होंने माना कि पर्याप्त पुलिसकर्मी नहीं थे। अभी तक हिंसक मुठभेड़ में 41 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आता जाएगा, इस तरह की तमाम छिटपुट शिकायतों पर बवाल, हिंसा और आगजनी की घटनाएं बीजेपी और तृणमूल दोनों की राजनीति के लिए मुफीद साबित होने वाली हैं। एक के पास राज्य की सत्ता है तो दूसरे के पास राज्यपाल और केंद्र सरकार का वरदहस्त और मीडिया की ताकत है।
भाजपा के नैरेटिव के मुताबिक, जब तक ममता बनर्जी की सरकार अपदस्थ नहीं हो जाती, हिंदू खतरे में रहने वाले हैं। और यदि वास्तव में तृणमूल कांग्रेस के स्थान पर बीजेपी को सरकार बनाने का अवसर मिल जाता है, तो पश्चिम बंगाल में जो कुछ देखने को मिल सकता है वह गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित अन्य उदाहरणों को मीलों पीछे छोड़ सकता है। कार्यकर्ता नवीन चंद्र रॉय के पास से बम बनाने का मसाला जब्त होना बेहद चिंता की बात है। आने वाले दिन निश्चित रूप से पश्चिम बंगाल की आम अवाम (हिंदू-मुस्लिम दोनों) के लिए एक दुह्स्वप्न से कम नहीं होने जा रहा।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)