सीतापुर: गांव वालों को धमकाने के लिए पूरी फोर्स लेकर पहुंचे अधिकारी

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सीतापुर/लखनऊ। परसों दोपहर उत्तर प्रदेश पुलिस के 12-15 जवानों के साथ एक पुलिस अधिकारी व नवनियुक्त थानेदार सीतापुर जिले के हरगांव थाना क्षेत्र के रिक्खीपुरवा गांव में पहुंचे और उन्होंने पूरे गांव के लोगों को आंबेडकर पार्क के पास स्थित सरकारी विद्यालय में इकट्ठा करके धमकाया कि अगर कोई कार्यक्रम किये तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। पुलिस अधिकारी ने ग्राम प्रधान विमला व दलित ग्रामवासियों को संबोधित करके कहा कि 9 सितंबर के कार्यक्रम में आप लोग नहीं जाइये और अपने लोगों से कहकर कार्यक्रम रद्द कीजिये।

जवाब में ग्राम प्रधान विमला ने जब पुलिस अधिकारी से कहा कि कार्यक्रम पार्टी भाकपा (माले) का है, हमारा नहीं। तो इस बात पर पुलिस अधिकारी ने अपना पुलिसिया तेवर दिखाते हुये कहा फिर ठीक है आप लोग कार्यक्रम में मत जाइये। थाना हरगांव के नये एसएचओ व एक अन्य पुलिस अधिकारी ने गांव वालों से धमकी भरे स्वर में कहा कि 9 तारीख को होने जा रहे कार्यक्रम की हमारे लोगों द्वारा वीडियो रिकार्डिंग की जायेगी। और फिर वीडियो में एक-एक व्यक्ति की पहचान करके उन पर एफआईआर दर्ज़ करके जेल भेजा जाएगा।

रिखिपुरवा में अंबेडकर की प्रतिमा लगवाने पहुंची पुलिस

जिला पंचायत सदस्य अर्जुन लाल की जीवनसाथी व ऐपवा नेता सरोजिनी बताती हैं कि परसों उनके चाचा का देहावसान हो गया था तो वो अपने मायके चली गई थीं, वो अपने गांव रिक्खीपुरवा में थीं ही नहीं। गांव वालों ने उन्हें बताया कि हरगांव थाने के नये थानाध्यक्ष की अगुआई में 12-15 लोगों की टीम के साथ पुलिस आई थी और धमकाकर गई है कि गांव का कोई भी व्यक्ति कार्यक्रम में गया तो ख़ैर नहीं।

पुलिस की परसों की धमकी के बाद गांव के लोग इतने डरे हुए हैं कि वो बोलने तक को तैयार नहीं हैं। लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर जनचौक को बताया है कि हरगांव थाने की पुलिस भाकपा (माले) कार्यकर्ताओं और नेताओं पर नज़र रखे हुये है। वो एक एक कार्यकर्ता को फोन करके थाने पर पूछताछ के लिये बुला रहे हैं, आशंका है कि 9 सितंबर के कार्यक्रम से ठीक पहले 8 सितंबर को उन लोगों को उनके घरों में नज़रबंद कर दिया जाये, या उठाकर थाने ले जाया जाये।

14 अगस्त को गांव वालों पर लाठीचार्ज, फर्जी केस में 9 गिरफ़्तार

बता दें कि जुलाई महीने से ही रिक्खीपुरवा गांव में जातीय व प्रशासनिक हमले हो रहे हैं। रिक्खीपुरवा गाँव की महिला प्रधान को पड़ोसी गांव के ठाकुरों द्वारा दौड़ा दौड़कर पीटा गया क्योंकि उन्होंने योगी सरकार की योजना के तहत गौशाला बनाने के लिए ग्राम समाज की ज़मीन पर गैर कानूनी रूप से क़ाबिज़ उन सामन्तवादियों को हटाया था। इसकी वजह से ठाकुर जाति के लोगों ने दलित महिला प्रधान के साथ 13-14 अगस्त को मारपीट किया। इसकी FIR दर्ज करवाने के लिए विमला देवी और गांव के लोग 14 अगस्त को गये तो थानेदार ने उल्टा गांव वालों पर ही लाठीचार्ज कर दिया और दर्जनों दलित गांव वालों को पकड़कर थाने में डाल दिया।

रिखिपुरवा में टूटी अंबेडकर की प्रतिमा

जिला पंचायत सदस्य व भाकपा(माले) के स्टैंडिंग कमेटी सदस्य अर्जुन लाल जब हरगाँव थाने में अपने गांव के लोगों की जमानत कराने गए तो थाना प्रभारी बृजेश त्रिपाठी ने उनके साथ न सिर्फ मारपीट किया बल्कि झूठा केस बनाकर उनको 15 अगस्त को जेल भेज दिया, और प्रधान से मारपीट करने वाले दबंग खुलेआम घूम रहे हैं। अर्जुनलाल के समर्थन में जब ऐपवा नेता सरोजिनी महिलाओं के साथ थाने गयीं तो थाना इंचार्ज ने उनके हाथ से राष्ट्रीय झंडा छीन लिया और कहा कि तुम इस झंडे को पकड़ने के लायक नहीं हो।

18 अगस्त को पड़ोसी गांव के दबंग जाति के लोगों ने आंबेडकर मूर्ति का सिर तोड़ दिया

14 अगस्त की घटना के बाद से ही थाना हरगांव का एक पुलिसकर्मी ग्राम प्रधान विमला के घर के बाहर रात और दिन चौबीसों घंटे बना हुआ था। वो उन्हें नज़रबंद करके बैठा था या सुरक्षा में तैनात था पता नहीं। पर उसकी गांव में मौजूदगी में ही 18 अगस्त की रात ग्राम प्रधान के घर से लगभग 300 मीटर दूरी स्थित गांव के आंबेडकर पार्क में स्थित आंबेडकर की प्रतिमा से सिर अलग करके ज़मीन पर फेंक दिया गया। बता दें कि जिस रात इस करतूत को अंजाम दिया गया था उस दौरान (14-26 अगस्त) ब्लॉक में धरना चल रहा था जिसमें रिक्खीपुरवा गांव के दर्जनों लोग भी लगातार शामिल हो रहे थे।

अगली सुबह जब गांव वाले इकट्ठा होकर पड़ोसी गांव के दबंग ठाकुरों जिन्होंने 13-14 अगस्त को ग्राम प्रधान विमला समेत गांव वालों को दौड़ा दौड़ाकर मारा था के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की तो हरगांव थाना, समेत तीन चार थानों की सैकड़ों पुलिस गांव आ पहुंची। प्रशासन ने आनन फानन में बाबा साहेब की नई मूर्ति मंगवाकर लगवाया और अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ कर लिया। लेकिन इस मामले में कार्रवाई किसी के भी ख़िलाफ़ नहीं हुई।

प्रशासन ने लगवायी नई प्रतिमा

थानेदार का तबादला

जातीय गाली और दलित नेताओं को खत्म करने की धमकी देने वाले थानेदार बृजेश त्रिपाठी पर कार्रवाई के नाम पर उनका तबादला सीतापुर जिले के ही दूसरे थाने में कर दिया गया है। बता दें कि गांव रिक्खीपुरवा में ग्राम प्रधान संग मारपीट के संदर्भ में हरगांव थाना के बाहर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और मांग किया कि मारपीट की घटना में दोनों पक्षों पर कार्रवाई होनी चाहिए। इस बात से थानेदार चिढ़ गए और धरने के बाद मौके पर पहुंचकर माले कार्यकर्ताओं को अभद्र लैंगिक व जातिसूचक गालियां देते हुये कार्यकर्ताओं से पूछा कि तुम्हारा नेता कौन है और उनसे अर्जुन लाल का मोबाइल नंबर लेकर उन्हे फोनकॉल पर जातिसूचक गालियां दिया। और धमकाते हुये कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश ने भेजा है दलितों की नेतागीरी को खत्म करने के लिये। जो भी दलित नेता हैं उनको मिटा देने के लिये। ऐसी तमाम धमकियां वो दिए और कहा कि अगर आगे से कोई धरना-प्रदर्शन करोगे, सीतापुर जिले में कहीं भी बैठोगे तो जेल भेज दिया जायेगा,  आपके परिवार को तबाह कर दिया जायेगा। आपको मिटा दिया जायेगा, जान से मार दिया जायेगा।

मौके पर पहुंची पुलिस

क्या है ताजा स्थिति

ताजा स्थिति यह है कि दलित माले नेता अर्जुन लाल और उनके गांव के कुल 9 लोग अभी तक जेल में बंद हैं। मामला अदालत में लंबित है और जमानत याचिका पर सुनवाई की तारीख 8 सितंबर मिली है। अर्जुन लाल की जीवनसाथी व ऐपवा नेता सरोजिनी कहती हैं कि हां एक हद तक बात हुई है प्रशासन से, थानेदार पर जांच बैठा दी गई है ऐसा एसपी का कहना है। बाक़ी न्यायिक प्रक्रिया में ज़मानत की प्रक्रिया चल रही है 8 सितंबर को रिलीज करने की बात है, धरना जिला मुख्यालय से समाप्त हो कर एक नये रूप में जन कैंपेन के रूप में शुरू हो गया है जिसमें क्षेत्रीय लोगों से संपर्क कर 8 सितंबर को एक बड़ी रैली जिसमें 2 हजार से ज्यादा की जनसंख्या में उपस्थिति की तैयारी है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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