वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स के प्रबंधक फेचर का बयान: न्यूजक्लिक में निवेश कानून सम्मत और पारदर्शी

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मेरा नाम जेसन फेचर है। मैं एक वकील हूं और संयुक्त राज्य अमेरिका में रहता हूं। मैं ‘वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी’ (डब्ल्यूएमएच) और इस कंपनी द्वारा भारत में न्यूज़क्लिक, यानि ‘पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड’ में किए गए निवेश के संबंध में सारे तथ्य यहां रख रहा हूं।

मैं 25 वर्षों से ज्यादा समय तक संयुक्त राज्य अमेरिका में वकील रहा हूं। मैंने कई वर्षों तक ‘थॉटवर्क्स’ नाम की इन्कॉर्पोरेटेड कंपनी में काम किया है, जो एक आईटी कंसल्टेंसी कंपनी है, जिसकी विश्वव्यापी पहुंच है। 2017 में जब इस कंपनी को 1969 में स्थापित ‘एपैक्स पार्टनर्स’ नाम की एक ब्रिटिश प्राइवेट इक्विटी फंड कंपनी को बेच दिया गया, तो मैंने ‘थॉटवर्क्स’ को छोड़ दिया। इसके बाद मैं ‘थॉटवर्क्स’ के संस्थापक, नेविल रॉय सिंघम से जुड़ गया, ताकि उन्हें इस बिक्री से प्राप्त रकम के उचित निवेश में मदद कर सकूं।

हमने संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘पीपुल्स सपोर्ट फाउंडेशन, लिमिटेड’ (पीएसएफ) नामक एक निजी फाउंडेशन बनाया, और मैं इसकी स्थापना के समय से ही इसके बोर्ड का सदस्य रहा हूं। ‘पीएसएफ’ में लगायी गयी सारी धनराशि ‘थॉटवर्क्स’ की बिक्री से प्राप्त हुई थी। ‘पीएसएफ’ को कभी भी किसी विदेशी सरकार से कोई धन नहीं मिला है।

‘वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी’ (डब्ल्यूएमएच) का मैं प्रबंधक हूं, और इसका पूर्ण मालिकाना ‘पीएसएफ’ के पास है और वही उसका संचालन करता है। ‘डब्ल्यूएमएच’ एक मुनाफा-आधारित निवेश कंपनी है जिसने दुनिया भर में ऐसी प्रगतिशील मीडिया परियोजनाओं में निवेश किया हुआ है जो जन-केंद्रित समाचार कवर करते हैं। हालांकि ये संस्थाएं ‘पीएसएफ’ के मिशन के अनुरूप हैं, फिर भी ‘पीएसएफ’ उनमें किये गये निवेश पर मुनाफा वसूलता है।

2017 के अंत में, ‘डब्ल्यूएमएच’ ने ‘न्यूज़क्लिक’ को एक ऐसे संगठन के रूप में पहचाना जो ‘डब्ल्यूएमएच’ के उद्देश्यों के अनुरूप था, इसलिए उसने ‘न्यूज़क्लिक’ में संभावित निवेश की कोशिश शुरू किया। इस काम के लिए मैंने दिल्ली का दौरा किया और एक स्थानीय वकील को काम पर रखा, ‘न्यूज़क्लिक’ के संपादक और अन्य कर्मचारियों से मुलाकात की, इसके पास उपलब्ध सुविधाओं को देखा, और ‘न्यूज़क्लिक’ के कानूनी सलाहकार के साथ बातचीत की।

मेरी समुचित कोशिशों के परिणाम स्वरूप ‘पीएसएफ’ बोर्ड ने निर्णय लिया कि ‘डब्ल्यूएमएच’ द्वारा ‘न्यूज़क्लिक’ में निवेश ठीक है। इस निवेश को मार्च 2018 में अंतिम रूप दिया गया था। हलांकि ‘डब्ल्यूएमएच’ की ओर से न्यूज़क्लिक’ की विभिन्न शेयरधारक बैठकों में मैंने भाग लिया है, लेकिन मेरे सहित ‘पीएसएफ’ या ‘डब्ल्यूएमएच’ के किसी भी पदाधिकारी ने कभी भी ‘न्यूज़क्लिक’ के पत्रकारिता कार्य को प्रभावित, संचालित या निर्देशित नहीं किया है।

‘न्यूज़क्लिक’ में ‘डब्ल्यूएमएच’ द्वारा निवेश कुछ-कुछ प्रबीर पुरकायस्थ के साथ हमारे पुराने संबंधों के कारण भी संभव हुआ। ‘थॉटवर्क्स’ में काम करने के दौरान मेरी मुलाकात प्रबीर से हुई थी। हमने वर्षों तक उस संस्थान में काम किया है। प्रबीर एक पत्रकार, लेखक, प्रौद्योगिकीविद्, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और व्यवसायी व्यक्ति के रूप में बहुत सम्मानित थे और रहेंगे।

2021 में, ‘न्यूज़क्लिक’ के कार्यालयों पर भारत के ‘प्रवर्तन निदेशालय’ द्वारा छापा मारा गया, जिसने संगठन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया। बाद में ‘दिल्ली पुलिस’ की ‘आर्थिक अपराध शाखा’ ने, और फिर ‘भारतीय राजस्व सेवा’ ने भी अपनी जांचें कीं। कई महीनों तक, प्रबीर और अमित चक्रवर्ती सहित न्यूज़क्लिक के दर्जनों पत्रकारों, कर्मचारियों और अन्य सहयोगियों से लंबी पूछताछ की गयी, और उनमें से कुछ से तो कई-कई बार पूछताछ की गयी।

‘डब्ल्यूएमएच’ से पूछे जाने पर, उसने भी भारतीय अधिकारियों को ‘डब्ल्यूएमएच’ द्वारा ‘न्यूज़क्लिक’ में निवेश किये गये धन के स्रोत के संबंध में पूरी जानकारी प्रदान की है। ‘डब्ल्यूएमएच’ ने इस बात के पर्याप्त सबूत भी दिये हैं कि डेलावेयर राज्य में, जहां यह कंपनी निगमित है, वहां यह बहुत अच्छी स्थिति में है। इसके बावजूद यह गलत सूचना प्रसारित की गई कि जब ‘डब्ल्यूएमएच’ ने ‘न्यूज़क्लिक’ में निवेश किया था तो वह एक निष्क्रिय इकाई थी।

प्रबीर को, अमित के साथ, अब भारत सरकार ने गिरफ्तार कर लिया है और जेल में डाल दिया है और ‘न्यूज़क्लिक’ के कार्यालयों को सील कर दिया गया है। ‘डब्ल्यूएमएच’ द्वारा भारतीय अधिकारियों को दिए गए सभी सबूतों के बावजूद, ‘न्यूज़क्लिक’ में निवेश किए गए धन के स्रोत के बारे में झूठे आरोप प्रसारित किये जाते रहे हैं। इन गंभीर परिस्थितियों ने ही मुझे सीधे-सीधे अपना बयान देने के लिए मजबूर किया है।

ऐसा प्रतीत होता है कि भारत सरकार की इस कार्रवाई का अधिकांश आधार 5 अगस्त, 2023 को ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ द्वारा प्रकाशित एक निंदनीय लेख से उपजा है। उस लेख के प्रकाशित होने से पहले, मैंने ‘पीएसएफ’ की ओर से पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया था, जो इस प्रकार है: “पीएसएफ को कभी भी किसी विदेशी व्यक्ति, संगठन, राजनीतिक दल या सरकार (या उनके किसी सदस्य या प्रतिनिधि से) न तो कोई फंडिंग मिली है, न ही इसने उनसे कोई दिशा-निर्देश लिया है।”

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ‘पीएसएफ’ के विदेशी फंडिंग के इस स्पष्ट खंडन को उस लेख में शामिल नहीं किया और इसके बजाय पाठकों को यह मानने का मौक़ा दे दिया कि ‘पीएसएफ’ (या रॉय) की फंडिंग का स्रोत ‘थॉटवर्क्स’ की बिक्री से मिली धनराशि के बजाय चीन से आया हो सकता है। इस तरह से उनकी घटिया हेडलाइन और भ्रामक ‘रिपोर्टिंग’ ने सीधे तौर पर इन निर्दोष पत्रकारों की गिरफ्तारी में योगदान दिया है।

मैं लगभग 20 वर्षों से भारत की यात्रा कर रहा हूं और वहां व्यापार कर रहा हूं। मैंने बिना किसी हिचकिचाहट के इस विशेष निवेश की सिफारिश की। मैं यह देखने के लिए उत्सुक था कि भारत के पहले से ही जीवंत मीडिया परिदृश्य में बेजुबानों को आवाज देने के लिए उत्सुक मीडिया परियोजना के विकास में मदद करके इस परिदृश्य को और भी जीवंत बनाया जाए।

मैं स्थानीय कानूनों का सम्मान करने के प्रति हमेशा अत्यधिक ईमानदार रहा हूं। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिष्ठित वकीलों और कानून फर्मों से परामर्श किया गया ताकि इस निवेश में भारतीय कानून के सभी पहलुओं का सख्ती से पालन किया जाए, और विशेष रूप से मीडिया कंपनियों में विदेशी स्वामित्व को सीमित करने वाले पहलुओं का भी सख्ती से ध्यान रखा जाए।

अब जो दमन हो रहा है, उसे देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या भारत उन विदेशी निवेशकों के लिए एक सुरक्षित स्थान है, जो भारतीय कानून का सावधानीपूर्वक पालन करते हैं।

(‘द हिंदू’ से साभार, अनुवाद : शैलेश)

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