खतरनाक हो गया है सच को लिखना: तारा गांधी भट्टाचार्यी

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नई दिल्ली। ‘आज के दौर में लिखना बहुत मुश्किल हो गया है, ज़बान खतरे में पड़ गई है। आज युवा पत्रकारों को सत्य और करुणा को समझाना होगा। उन्हें शिक्षित करना होगा ताकि आने वाला भविष्य गांधी का भविष्य हो क्योंकि हम मन से गांधी का आदर करते हैं।’-ये विचार तारा गांधी भट्टाचार्जी के हैं। वो जामिया मिलिया इस्लामिया के हिंदी विभाग में ‘13वां देवदास गांधी स्मृति व्याख्यानमाला’ के तहत आयोजित ‘गांधी और हम’ विषय पर बोल रही थीं। यह व्याख्यान 9 मार्च 2023 को दोपहर 2:30 बजे जामिया के सीआईटी कक्ष में हुआ।

तारा गांधी ने गांधी जी के पत्रकारीय विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधीजी पत्रकारों की भाषा-वर्तनी को परखते थे। कुछ तस्वीरें दिखा कर भी पत्रकारों को उस पर लिखने के लिए कहते थे। इस प्रकार उनकी भाषा, लेखन शैली और सूझबूझ का टेस्ट करते थे और उनको सही ढंग से लिखने के लिए प्रेरित करते थे।

तारा गांधी ने महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी अनकही कहानियों से आज की युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन किया। इन्होंने जामिया से अपना जुड़ाव और लगाव बताते हुए कहा कि जामिया को जब कोई कुछ कहता है तो खुद को बुरा लगता है। महात्मा गांधी हम लोगों को हमेशा कहते थे कि रोज किसी भाषा के दो शब्द सीखो। उन्होंने जामिया से अपनी यादों को साझा किया।

एक घटना का जिक्र करते हुए तारा गांधी ने बताया कि गांधीजी ने उनके लिखे हुए पत्र का किस तरह मीठे स्वर में जवाब दिया था। गांधीजी का जवाब यह था कि तुमने काफी अच्छा पत्र लिखा है लेकिन इसमें वर्तनी की काफी अशुद्धियां हैं। भाषा की पकड़ काफी जरूरी है जो कि गांधीजी उनको हमेशा सीख दिया करते थे। उन्होंने गांधीजी द्वारा मिली सीख और मार्गदर्शन को सभी छात्रों के साथ साझा किया। इसी के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण पर भी महत्वपूर्ण बात कही।

आखिर में इस व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर मोहम्मद इस्हाक ने महात्मा गांधी के जामिया को शुरू करने के योगदान को बताते हुए कहा कि गांधी जी ने कहा था कि इस यूनिवर्सिटी को खोलिए जो भी खर्चा होगा उसको मैं पूरा करूंगा। प्रोफेसर नीरज कुमार ने तारा गांधी भट्टाचार्य समेत विभाग के सभी प्रोफेसरों और छात्रों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद किया।

आपको बता दें तारा गांधी भट्टाचार्य गांधी जी के छोटे बेटे देवदास गांधी की बेटी हैं। देवदास गांधी 1937 में हिंदुस्तान टाइम्स में प्रबंध संपादक के रूप में शामिल हुए, और 1957 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहे। देवदास और लक्ष्मी राजगोपालाचारी (सी राजगोपालाचारी की बेटी) के चार बच्चों में सबसे बड़ी तारा गांधी भट्टाचार्यी ने अपने पिता के कार्यकाल के बारे में बात की। भट्टाचार्जी ने अपना जीवन गांधी स्मृति और दर्शन समिति को समर्पित कर दिया है, और एक संस्मरण, रिफ्लेक्शंस ऑफ़ एन एक्स्ट्राऑर्डिनरी एरा की लेखिका भी हैं।

इस व्याख्यान में फैकल्टी ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड लैंग्वेज के डीन प्रोफेसर मोहम्मद इस्हाक, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रदेव यादव, प्रोफेसर नीरज कुमार समेत विभाग के अन्य प्रोफेसर शामिल हुए। इस व्याख्यान का संचालन प्रोफेसर डॉ. विवेक दुबे द्वारा किया गया।

(नोमान अहमद खान जामिया मिलिया इस्लामिया में पत्रकारिता के छात्र हैं।)

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