कल-कारखानों के मजदूर आज विश्वकर्मा दिवस मना रहे हैं। भक्त आज मोदी का जन्मदिवस मना रहे हैं। और देश के बेरोज़गार युवा आज ‘राष्ट्रीय जुमला दिवस’ मना रहे हैं। ये एक बेरोज़गार युवा समाज द्वारा अपने प्रधानमंत्री को उनकी झूठी, फरेबी, मक्कार, विघटनकारी, विभाजक नीतियों के बदले दिया गया तोहफा है।
17 सितंबर को आज देश भर के युवा राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस और राष्ट्रीय जुमला दिवस के तौर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। आज शाम पूरे देश में बेरोज़गार युवा एक साथ मशाल जुलूस निकालेंगे।
सोशल मीडिया पर युवा ताक़त से मात खाया आरएसएस भाजपा का संगठित गिरोह
वहीं सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। मोदी भक्त और ट्रोल गैंग जहां आज #HappyBdayModiji ट्रेंड कराने में लगा हुआ है वहीं देश के बेरोज़गार युवा ‘#राष्ट्रीय_बेरोज़गार_दिवस’ ‘#NationalUnemploymentDay’, ‘#मोदी_रोज़गार_दो’, ‘#अखंड_पनौती_दिवस’ ट्रेंड करवा रहे हैं।
दोपहर 12:30 बजे तक जहाँ #HappyBdayModiji हैशटैग को 380 हजार ट्वीट्स मिले हैं वहीं ‘#NationalUnemploymentDay’ हैशटैग को 779 हजार ट्वीट्स मिले हैं। ‘#मोदी_रोज़गार_दो’ हैशटैग को 407 हजार ट्वीट्स मिले हैं। ‘#राष्ट्रीय_बेरोज़गार_दिवस’ हैशटैग को 10.7 लाख ट्वीट मिले हैं। आँकड़े अपने आप दिखा रहे हैं कि एक ओर सत्ता (भाजपा कार्यकर्ता), संगठन (आरएसएस कार्यकर्ता) और उसके सारे भक्त मिलकर ‘#HappyBdayModiji’ हैशटैग को ट्रेंड कराने में पूरी ताक़त झोंकने के बाद मात्र 380 हजार ट्वीट्स मिले हैं वहीं ‘#NationalUnemploymentDay’ हैशटैग को सिफ़ देश के युवाओं ने 779 हजार ट्वीट्स किये हैं।
नौकरी देने का वादा किया, और 16 करोड़ नौकरी छीन लिया
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, 2017-18 में बेरोज़गारी बीते 45 सालों में सबसे अधिक यानी 6.1% पर थी। CMIE के हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार यह दर तब से अब तक लगभग दोगुनी हो चुकी है।
प्यू रिसर्च के अनुसार, 2021 की शुरुआत से अब तक 2.5 करोड़ से अधिक लोग अपनी नौकरी गँवा चुके हैं और 7.5 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा पर पहुँच चुके हैं, जिनमें 10 करोड़ मध्यम वर्ग का एक तिहाई शामिल है।
रानाडे ने बताया कि हर साल देश की अर्थव्यवस्था को 2 करोड़ नौकरियाँ चाहिए, लेकिन भारत में बीते दशक में हर साल केवल 43 लाख नौकरियाँ ही पैदा हुईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शुरुआत की थी, तो यह दावा किया गया था कि निर्यात केंद्रों से निवेश आकर्षित करके भारत वैश्विक उत्पादन का पावरहाउस बन जाएगा। कहा गया था कि मैन्युफ़ैक्चरिंग को जीडीपी का 25% हिस्सा बनाया जाएगा, लेकिन सात सालों में इसका शेयर 15% पर अटक गया है। सेंटर फ़ॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस के अनुसार, इस सेक्टर की सबसे बुरी हालत हुई है और मैन्युफ़ैक्चरिंग की नौकरियाँ बीते पाँच सालों में आधी हो चुकी हैं।
पकौड़े बेचना रोज़गार है
सत्ता में आने से पहले मोदी रोज़गार रोज़गार चिल्लाते थे। लेकिन सत्ता में आने के बाद रोज़गार के सवाल पर नरेंद्र दामोदर दास मोदी पकौड़ा बेचने की सलाह देते हैं।
20 जनवरी 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने जी न्यूज को इंटरव्यू दिया। जिसमें सुधीर चौधरी ने उनसे सवाल किया था कि- “मोदी जी हर बार रोजगार एक बड़ा मुद्दा बनता है। जब आप आए थे तो आपने वादा भी किया था कि आप रोजगार उपलब्ध कराएंगे। एक करोड़ लोगों को रोज़गार देंगे। अब जब 1334 दिन बीत चुके हैं और आप अपना रिपोर्ट कार्ड निकालकर देखते हैं, संतुष्ट हैं कि आप लोगों का जीवन बदल पाए?
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सवाल के जवाब में कहा था कि –“अगर आपके जी टीवी स्टूडियो के बाहर कोई पकौड़े बेचता है और शाम को 200 रुपए कमाकर घर जाता है। उस व्यक्ति को आप रोजगार मानोगे कि नहीं मानोगे।”
प्रधानमंत्री अपने तमाम चुनावी भाषणों और भाजपा के विज्ञापन में भी रोज़गार देने का जिक्र करते आ रहे हैं। लेकिन सरकार बनने पर कितने लोगों को रोज़गार दिया नरेंद्र मोदी सरकार ने इसका कोई डेटा नहीं उपलब्ध कराया है।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)
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