Tuesday, March 28, 2023

म्यांमार में 114 नागरिकों की सेना ने की हत्या

सुशील मानव
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जब किसी देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म कर दिया जाता है तो नागरिकों के जान की कीमत खत्म हो जाती है। म्यांमार में कल शनिवार को सशस्त्र बल दिवस के मौके देश में सत्तारूढ़ सेना ने 114 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी है। न्यूज़पोर्टल ‘म्यांमार नाउ’ के मुताबिक देशभर में सुरक्षा बलों की फायरिंग में 114 लोगों की मौत हो गयी है। देश के सबसे बड़े शहर यंगून में 27 लोगों की मौत हुई जबकि मांडले में पांच साल के एक बच्चे समेत 40 लोग मारे गए हैं।

गौरतलब है कि म्यांमार में पिछले महीने हुए तख्तापलट के विरोध में कल सशस्त्र बल दिवस के मौके पर म्यांमार में लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकले। शनिवार को देशभर में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस व सेना द्वारा गोलियां बरसाई गई, जिसमें 114 लोगों की मौत हो गयी। मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। म्यांमार में सरकारी न्यूज चैनल एमआर टीवी ने शुक्रवार रात इस बाबत पहले ही चेतावनी जारी की थी कि शनिवार को सशस्त्र बल दिवस के मौके पर सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने पर प्रदर्शनकारियों को गोली मारी जा सकती है। बावजूद इसके बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी म्यांमार की सड़कों पर उतरे।

बता दें कि तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार में लगातार जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। गत एक फरवरी से जारी प्रदर्शनों में अब तक लगभग 400 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

114 नागरिकों की हत्या की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा

म्यांमार में कल हुई गोलीबारी में जिन हत्याओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा हुई है और म्यांमार में कई कूटनीतिक मिशनों ने बयान जारी किए हैं जिनमें शनिवार को बच्चों समेत नागरिकों की हत्या का जिक्र है।

ब्रिटेन के राजदूत डेन चग ने एक बयान जारी करके कहा है कि ”सुरक्षाबलों ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाकर अपनी प्रतिष्ठा खो दी है।”

वहीं अमरीकी दूतावास ने बयान जारी करके कहा है कि सुरक्षाबल “निहत्थे आम नागरिकों की हत्या” कर रहे हैं।

यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने ट्विटर पर एक बयान जारी करके कहा है कि, “76वां म्यांमार सशस्त्र बल दिवस आतंक और असम्मान के दिन के तौर पर याद किया जाएगा। बच्चों समेत निहत्थे नागरिकों की हत्या ऐसा कृत्य है जिसका कोई बचाव नहीं है।”

इस बीच, सैन्य शासन विरोधी समूह (सीआरपीएच) के प्रवक्ता डॉ. सासा ने कहा, ‘सुरक्षा बलों के लिए आज का दिन शर्म करने वाला है।’

(सुशील मानव जनचौक के विशेष संवाददाता हैं।)

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