हाथरस: संघर्ष में हर पल साथ खड़े हैं वाम दल, नेताओं ने मिलकर दिलाया परिजनों को भरोसा

Estimated read time 1 min read

आज 6 अक्तूबर को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल हाथरस में पीड़िता के परिवार से मिलने उनके घर गया। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें समर्थन देते हुए पूर्ण आश्वासन दिया की न्याय के इस संघर्ष में दोनों वामपंथी पार्टियों के साथ दूसरे वाम दल आखरी दम तक परिवार के साथ खड़े रहेंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के किसी भी दमनात्मक कार्रवाई का डट के मुकाबला करेंगे।

इस संयुक्त प्रतिनिधिमंडल में सीपीआई के महासचिव कॉ. डी राजा,  सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी,  सीपीआई की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर, सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात, सीपीआई उत्तर प्रदेश राज्य परिषद के सदस्य डॉ. गिरीश शर्मा, सीपीएम की उत्तर प्रदेश राज्य समिति के सचिव हीरालाल यादव शामिल रहे।

पीड़ित परिवार से मिलने के बाद बृंदा करात ने कहा, “इस माहौल में पीड़ित परिवार असुरक्षित महसूस कर रहा है। जांच CBI को सौंपे जाने से वो खुश नहीं हैं। जांच कोर्ट की निगरानी में होना चाहिए। पूरे मामले में यूपी के मुख्यमंत्री ने एक बार भी नहीं कहा कि अपराध हुआ, गलत हुआ और हम लड़की के साथ हैं, ये शर्मनाक है।”

सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, “योगी सरकार लोगों को मुद्दे से भटकाने का काम कर रही है। प्रकरण की न्यायिक जांच कराई जाए। सरकार और प्रशासन द्वारा बिटिया के प्रकरण में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई है।”

पीड़ित परिवार ने वामपंथी नेताओं को पीड़िता की हत्या,  हालात और बदसलूकी के बारे में विस्तार से बताया। परिवार अब भी अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है और खुल कर बात करने से डर रहा है। वह न्याय की गुहार लगा रहा है और इसके लिए वह न्यायिक जांच चाहता है। माननीय उच्च न्यायालय ने उन्हें 12 अक्तूबर को उपस्थित होने का नोटिस भेजा है और शोक के इन हालातों में उन्हें यह भी पीड़ादायक लग रहा है।

दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने परिवार की पीड़ा को साझा किया और भरोसा दिलाया कि वे उनको न्याय दिलाने के लिए हर स्तर पर सहयोग करेंगे। वाम नेताओं ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यूपी में जिस तरह महिलाओं,  बेटियों, दलितों और कमजोरों पर जुल्म हो रहे हैं उससे किसी भी इंसान की रूह कांप जाती है।

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि बलरामपुर में बलात्कारियों पर एनएसए लगाया गया है, क्योंकि वे मुस्लिम हैं। हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं,  पर यह आश्चर्यजनक है कि देश और दुनियां को जिस हादसे ने स्तब्ध कर दिया है,  उसके आरोपियों पर एनएसए लगाना तो दूर भाजपा के सांसद और विधायक उन्हें जेल तक में वीआईपी सुविधाएं दिलवा रहे हैं। ऐसी सरकार से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

एक सवाल के जवाब में वाम नेताओं ने कहा कि दंगाइयों की सरकार मुख्य समस्या से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है और विपक्ष पर दंगा भड़काने का आरोप लगा रही है। इस पर कौन विश्वास करेगा?  सच तो यह है कि सरकार संरक्षित आरोपियों के समर्थक प्रतिदिन यहां आने वालों पर पथराव कर रहे हैं और उपद्रव करने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। वे यह भी भूल गए हैं कि बाहर से आने वाले लोगों के साथ शालीनता से व्यवहार करना चाहिये,  जैसा कि भारत की संस्कृति कहती है।

वाम नेताओं ने एक स्वर से योगी सरकार को महिलाओं और बालिकाओं के साथ हो रही दरिंदगी को रोकने में असफल बताया और मुख्यमंत्री के तत्काल इस्तीफे की मांग की। भाकपा नेता डॉ. गिरीश ने जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार से मांग की कि यदि परिवार के लोग उच्च न्यायालय जाने का निर्णय लेते हैं तो उनकी सुरक्षा और लाने ले जाने की ज़िम्मेदारी सरकार और प्रशासन ले। उन्होंने कहा कि पीड़ित को न्याय दिलाने की आवाज उठाना हमारा फर्ज है तथा हम आम लोगों से भाई चारा बनाए रखने की भी अपील करते हैं।

वामदलों के नेताओं के साथ दर्जनों वाहनों के काफिले में सैकड़ों अनुशासित कार्यकर्ता भी मौजूद थे। परन्तु न तो नेताओं की जिंदाबाद का नारा लगा न ही किसी के मुर्दाबाद का। कार्यकर्ताओं का कहना था कि वे यहां संवेदनाएं व्यक्त करने आए हैं न कि राजनीति करने। वैसे ये कार्यकर्ता किसी भी चुनौती का सामना करने को मुस्तैद थे। मौके पर मौजूद लोग उनकी शालीनता और अनुशासन की प्रशंसा कर रहे थे और स्थानीय प्रशासन भी तनावमुक्त महसूस कर रहा था।

please wait...

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments