अडानी समूह के शेयर फिर से धड़ाम होने शुरू

अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को तेज गिरावट का रुख देखने को मिला है। समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों में करीब 7% तक की गिरावट देखने को मिली है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले में अडानी समूह की तरफ से अमेरिकी निवेशकों को दिये गये प्रतिवेदनों पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा जांच शुरू करने की खबर के बाद शेयरों में अचानक से गिरावट आई है।

अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे। हालांकि समूह ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था। जनवरी में आई इस रिपोर्ट ने अडानी समूह की कंपनियों में भारी तबाही मचाई थी। इससे पहले दो वर्ष के भीतर अडानी समूह के शेयर इस कदर तेजी से बढ़ रहे थे कि उन्होंने सभी प्रमुख भारतीय कॉर्पोरेट जगत के दिग्गज घरानों को पछाड़ते हुए विश्व में दूसरे सबसे वित्तीय साम्राज्य पर खुद को काबिज कर लिया था।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर 6.79 प्रतिशत, अडानी ट्रांसमिशन का शेयर 6.38 प्रतिशत, अडानी पावर का शेयर 5.61 प्रतिशत और अंबुजा सीमेंट का शेयर 4.19 प्रतिशत तक गिर गया है। इसी प्रकार अडानी पोर्ट्स का शेयर 4.16 प्रतिशत, NDTV का शेयर 3.46 प्रतिशत, ACC का शेयर 3.46 प्रतिशत, अडानी विल्मर का शेयर 3.42 प्रतिशत, अडानी टोटल गैस का शेयर 3.21 प्रतिशत और अडानी ग्रीन एनर्जी का शेयर 1.50 प्रतिशत गिर चुका है।

शेयर बाजार मे 30 शेयर वाले BSE पर सेंसेक्स 259.52 अंक या 0.51 प्रतिशत गिरकर 62,979.37 पर बंद हुआ।

इसकी एक वजह शेयर बाजार में मुनाफा वसूली के बीच शुक्रवार को अडानी समूह के शेयरों की बिकवाली का दबाव भी बताया जा रहा है। लेकिन साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा रहा है कि अडानी समूह के शेयरों में गिरावट की एक और वजह हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अब इस संबंध में अमेरिका में नियामकीय जांच की खबर भी प्रमुख कारक हो सकती है।

इस प्रकार अडानी समूह की कुल परिसंपत्तियां एक बार फिर से 10 लाख करोड़ रुपये से नीचे जा चुकी हैं। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित 6 सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट की गहन पड़ताल के बाद भारतीय आर्थिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस रिपोर्ट में कई स्थान पर अडानी समूह और सेबी की संदिग्ध भूमिका की ओर इशारा किया गया था, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय को बारीकी से अध्ययन कर ही अपने अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।

उक्त रिपोर्ट में पाया गया है कि जिन 13 विदेशों में स्थित एफपीआइज की संदिग्ध गतिविधियां अडानी समूह के शेयरों की खरीद और बिकवाली से जुड़ी हुई है। उनके अंतिम मालिकान के बारे में किसी निष्कर्ष पर न पहुंच पाने की असल वजह सेबी द्वारा अपने ही नियमों में रद्दोबदल रहा है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान सेबी ने अपने नियमों में बदलाव कर स्वंय की जांच की भूमिका को सीमित कर दिया था।

यह ठीक वही समय है, जिसके बाद से अडानी समूह के शेयरों में तेज उछाल आना शुरू हुआ और देखते ही देखते समूह भारत सहित एशिया का सबसे धनाढ्य कॉर्पोरेट समूह बनकर उभरा था। इसमें एलआईसी द्वारा अडानी समूह में निवेश और इन 13 एफपीआइज द्वारा अपने शेयरों की भारी बिकवाली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह तथ्य एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में उजागर होते हैं। लेकिन अपने निष्कर्ष में कमेटी ने सेबी की भूमिका को संतोषजनक बताकर नए नियमों के तहत अडानी समूह द्वारा नियमों के पालन की रिपोर्ट जारी कर दी थी। इसे ही भारतीय मीडिया ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी द्वारा क्लीन चिट बता दिया गया।

नतीजतन अडानी समूह के जो शेयर बड़े पैमाने पर लगातार गिरते जा रहे थे, उसमें रोक लगी। भारतीय मीडिया और अडानी समूह द्वारा विदेशी संस्थागत निवेशकों के हाथों गिरवी रखे शेयरों को वापस खरीदने के लिए एक के बाद एक ऋण अदायगी की खबरों ने भारतीय छोटे निवेशकों को अडानी समूह के कम दामों पर उपलब्ध शेयरों की खरीद के लिए प्रेरित किया।

इस प्रकार अडानी समूह एक बार फिर से उबरने की कोशिश में लगा ही था कि अब इस खबर ने एक बार फिर से शेयर बाजार में सनसनी मचा दी है। यदि इस बार भी यह गिरावट जारी रही तो इसका नुकसान अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों, वेंचर फण्ड के बजाय भारत के लाखों मध्यम वर्गीय निजी निवेशकों को भुगतना होगा।

अब शेयर बाजार दो दिन के लिए चूंकि बंद है, इसलिए सोमवार को ही पता चल सकेगा कि इस खबर का भारतीय निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा। जनवरी के बाद से ही अडानी समूह ने किसी नए काम में हाथ नहीं डाला है, उल्टा जितना संभव था अपने कारोबार को समेटने पर ही जोर दिया है। फिलहाल अगले वर्ष तक उसका लक्ष्य विदेशी संस्थागत निवेशकों के ऋणों को चुकाने और अपने शेयर और बांड्स छुड़ाने पर केंद्रित रहने वाला है।

हालांकि हाल ही में भारतीय रेलवे की सहायक संस्था आईआरसीटीसी के टिकट बुकिंग एप्प को हस्तगत किये जाने की खबर आई है। यदि ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में देश के 350 करोड़ सालाना सफर करने वाले रेल यात्रियों को अडानी टिकट मुहैय्या करायेंगे। सर्विस चार्ज सहित अन्य सुविधा शुल्क क्या होगा, यह तो भविष्य ही बतायेगा।

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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